July 31, 2025 10:01 AM

Menu

कला व साहित्य -: चुनाव मेरे गाँव का (कविता) – सुरेश गुप्त ”ग्वालियरी”

सोनप्रभात -कला व साहित्य (कविता) – सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”

 

– (चुनाव मेरे गाँव का)

मय खाने सजने लगे,
जगमग हुई दुकान!
कल ही तो डुग्गी पिटी,
चुनना नया प्रधान!!

आया ट्रक इक गाँव में,
भरकर बोतल आज!
कोई प्यासा ना रहे,
खुश है दारू बाज!!

कल नेता कुछ आये थे
झंडे टोपी साथ!
बाँटे सारे गाँव में,
झुका झुका कर माथ!!

गेरुआ में शर्मा हुए,
वर्मा नीले संग!
लाल रंग सिर पर धरे,
टोपी में बजरंग!!

हर छत पर झंडे लगे,
नीले पीले लाल!
बँट वारा कर के गये,
कल नेता शिशुपाल!!

रोजगार सबको मिला,
हर कोई अब व्यस्त!
कल से नाले में पड़ा ,
कलुआ होकर मस्त!!

दारू पर दारू चली,
कल से सारी रात !
यह चुनाव अब दे गया,
भूखो को सौगात!!

सच मानो यदि चुन लिया,
तुमने हमें प्रधान!
बिजली पानी मुफ्त में ,
दूंगा एक मकान!!

खेती बेची गाँव की,
बेटा लड़ा चुनाव!
कमर झुकी छू कर चरण ,
लगा दिया सब दाव!!

कोई बोतल दे गया,
कोई नगद हजार!
मुर्गा आना शेष है,
खूब सजा बाजार !!

नहीं प्रेम सदभाव अब,
घर घर में तकरार!
भाई भाई लड रहे,
खींच रहे तलवार!!

-सुरेश गुप्त,ग्वालियरी

Ad- Shivam Medical

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

For More Updates Follow Us On

For More Updates Follow Us On