June 15, 2025 5:00 PM

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दुष्कर्म के दोषी गुड्डू को 10 वर्ष, रामप्रीत को 7 वर्ष की कैद।

दुद्धी – सोनभद्र / जितेंद्र चंद्रवंशी – सोन प्रभात

  • 50 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद।
  • आठ वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म का मामला।
  • अर्थदंड की समूची धनराशि 50 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी।
  • जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी।

सोनभद्र। आठ वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनभद्र निहारिका चौहान की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी गुड्डू यादव को 10 वर्ष की कैद एवं 40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। वहीं दोषी रामप्रीत खरवार को 7 वर्ष की कैद व 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 5 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अर्थदंड की समूची धनराशि 50 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी।


अभियोजन पक्ष के मुताबिक पिपरी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 10 सितंबर 2014 को पिपरी थाने में दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया था कि उसकी 16 वर्षीय नाबालिग बेटी जो कक्षा 10 की छात्रा थी को 4 सितंबर 2014 की शाम 7 बजे पिपरी थाना क्षेत्र के मूर्धवा निवासी गुड्डू यादव व रामप्रीत खरवार बहला फुसलाकर भगा ले गया और उसके साथ गुड्डू ने दुष्कर्म भी किया। पिपरी पुलिस ने 10 सितंबर 2014 को पॉक्सो एक्ट एवं दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचना के दौरान विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी गुड्डू यादव को 10 वर्ष की कैद एवं 40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं दोषी रामप्रीत खरवार को 7 वर्ष की कैद व 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 5 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। वही अर्थदंड की समूची धनराशि 50 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि,सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने बहस की।

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