- एफआईआर तक दर्ज न करने वाले अधिकारी हो दण्ड़ित।
- डीजीपी को भेजा पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व पंचायतनामा संदिग्ध।
- नगवा बालू साईड पर हत्या की जांच हेतु मजिस्ट्रेटियल टीम मौके पर पहुँची।
जितेन्द्र चन्द्रवंशी- दुद्धी,सोनभद्र-सोनप्रभात
5 जून, 2020, दुद्धी के पकरी गांव के निवासी आदिवासी राम सुदंर गोंड की 23 मई को मिली लाश के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने के लिए आज पूर्व आईजी और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने महानिदेशक, उ0 प्र0 पुलिस को ईमेल द्वारा समस्त संलग्नकों के साथ पत्रक भेजा। पत्रक की प्रतिलिपि अपर मुख्य सचिव गृह को आवश्यक कार्यवाही हेतु और जिलाधिकारी सोनभद्र को इस मामले में जारी मजिस्ट्रेट जांच में सम्मलित करने के आशय से भेजी गयी है। पत्रक में दारापुरी ने डीजीपी से एसपी सोनभद्र को तत्काल एफआईआर दर्ज कराने और मृतक के परिवारजनों समेत ग्रामीणों के उत्पीड़न पर रोक लगाने का निर्देेश देने की मांग भी उठाई।
पत्रक में पूर्व आईजी दारापुरी ने इस मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज न करने और मृतक के परिवारजनों समेत गांव के प्रधान को जेल भेजने की पुलिसिया कार्यवाही पर गहरी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि इसके लिए दोषी अधिकारियों को दण्ड़ित किया जाए। उन्होंने पत्रक में कहा कि मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट संदिग्ध है। इसमें दम घुटने और डूबने से मौत दिखाई गई है लेकिन पूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहीं भी दम घुटने के कारणों का जिक्र तक नहीं है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई व्यक्ति पानी में डूबा और उसके कारण उसकी मृत्यु हुई तो साफ है कि उसके फेफड़ों में पानी होगा और उसके उदर में मिट्टी या बालू होगा। यहीं नहीं पानी में डूबने के लक्ष्ण भी पोस्टमार्टम में उल्लेखित नहीं है। आश्चर्य इस बात का है कि मृतक का घर नदी के ठीक पास है और कनहर नदी एक पहाड़ी नदी है जिसमें बरसात के दिनों को छोड़कर एक या दो फिट तक ही पानी रहता है। मृतक अपने जन्म से ही उस नदी के किनारे रहता रहा है लेकिन वह नहीं डूबा।
उन्होंने तथ्यों को डीजीपी के संज्ञान में लाते हुए पत्रक में लिखा कि राम सुदंर गोंड़ की मृत्यु के सम्बंध में दुद्धी थाने में दर्ज सामान्य दैनिकी विवरण और पंचायतनामा भी संदिग्ध है। इस पंचायतनामा में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के पहले ही मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी द्वारा डूबने से मौत का निष्कर्ष निकाल लिया गया। यहीं नहीं उसमें तारीख में भी बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों में राम सुदंर के दो पुत्र लाल बहादुर व विद्यासागर, भाई रामजीत और मौजूदा प्रधान मंजय यादव का छपा बयान बार-बार कह रहा है कि उन्होंने हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी थी लेकिन पुलिस ने लेने से इंकार कर दिया। इन लोगों ने अपने बयानों में मृतक के दांत टूटने, चोट के निशान और घावों का भी जिक्र किया है। यहीं नहीं सीआरपीसी के अनुसार किसी भी संदेहास्पद मृत्यु की दशा में विधिक रूप से एफआईआर दर्ज करना और विवेचना करना अनिवार्य है। सीआरपीसी की घारा 154 के स्पष्ट कहती है कि संज्ञेय अपराध से सम्बंधित प्रत्येक सूचना यदि एक पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गयी है तो उसके द्वारा या उसके निदेशाधीन लेखबद्ध कर ली जायेगी और सूचना देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी और उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर कराकर उसे दी जायेगी। बावजूद इसके आज तक एफआईआर दर्ज न करना एक पुलिस अधिकारी के बतौर अपने कर्तव्य को पूरा नहीं करना है।
उन्होंने पत्रक में कहा कि मृतक राम सुदंर की हत्या कि महज अज्ञात में एफआईआर दर्ज करने की छोटी सी और न्यायोचित मांग के कारण गांव के निर्वाचित प्रधान समेत मृतक के परिवारजनों जिनमें महिलाएं और बच्चियां भी है, पर मुकदमा कायम कर दिया गया। यहीं नहीं 12 साल के बच्चे राजेश पुत्र रामचंद्र समेत नाबालिग अरविंद पुत्र तेज बली सिंह, उदल पुत्र तेज बली सिंह व बुजुर्ग हरीचरण और प्रधान को गम्भीर घाराओं में जेल भेज दिया गया। यह पूरी कार्यवाही महज खनन माफियाओं के इशारे पर पुलिस द्वारा अंजाम दी गयी है। तथ्यों और घटनाक्रम से स्पष्ट है कि रामसुंदर की हत्या हुई है इसलिए उन्होंने डीजीपी से इसकी उनके शिकायत प्रकोष्ठ द्वारा जांच कराने का आग्रह किया है।

Son Prabhat Live News is the leading Hindi news website dedicated to delivering reliable, timely, and comprehensive news coverage from Sonbhadra Uttar Pradesh + 4 States CG News, MP News, Bihar News and Jharkhand News. Established with a commitment to truthful journalism, we aim to keep our readers informed about regional, national, and global events.

