संपादकीय रिपोर्ट : संकलन / वेदव्यास सिंह मौर्या /सोन प्रभात
छात्र संख्या कम होने पर प्राथमिक विद्यालयों के विलय के आदेश का स्वागत किया जाना चाहिए. स्कूलों की संख्या भले कम हो जाए, शिक्षकों की संख्या पूरी होनी चाहिए.
उक्त विचार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष विजय राम पांडेय ने एक विज्ञप्ति में कही.
शिक्षक नेता श्री पांडेय ने आगे कहा कि प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि एक ही गांव में एक से अधिक स्कूल खुल गए हैं.बिल्डिंग बन गई है किंतु न पर्याप्त छात्र हैं, न पर्याप्त शिक्षक.
जमीनी हकीकत यह है कि बहुत कम ऐसे सरकारी प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें गणित, विज्ञान और अंग्रेजी सहित सभी विषयों को पढ़ाने वाले योग्य और पर्याप्त शिक्षक हों.

हालत यह है कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 1.81 लाख पद रिक्त हैं.
अभिभावक जागरूक हो गए हैं और वो अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में दाखिला चाहते हैं, जहां पर्याप्त शिक्षक हों और शैक्षिक गुणवत्ता हो.
आवश्यकता इस बात की है कि प्राइमरी स्कूलों की संख्या भले घटा दें किंतु हर विषय को पढ़ाने वाले योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करें.
मेरा दावा है, सर्वे करा के देख लीजिए, जो नेता और शिक्षक स्कूलों के विलय के खिलाफ़ आन्दोलन कर रहे हैं, उनके बच्चे खुद सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में नहीं पढ़ते. उनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं.
प्राथमिक स्कूलों में निम्नवर्ग और मध्यम निम्नवर्ग के बच्चे पढ़ते हैं. उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहिए, भले ही स्कूल दूर हो.
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