November 14, 2024 10:33 PM

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उदयगामी सुर्य को अर्ध्य के साथ छठ महापर्व का हुआ समापन

Sonbhadra News/Report: संजय सिंह

चार दिवसीय पर्व छठ पूजा शुक्रवार सुबह उदयगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। घाटों पर छठ पूजा की अद्भुत छटा दिखी। लोक आस्था के इस महापर्व पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा नजर आया रौप गांव सहिजन खुर्द एवं सहिजन कला तालाब पर तथा चुर्क नगर पंचायत  छठ घाट सहित विभिन्न घाटों पर बड़ी संख्या में व्रतियों और श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया और छठी मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत भी मांगी। व्रतियों व उनके स्वजन ने भगवान सूर्य से समाज व देश के हित की कामना की नहाय-खाय से शुरू हुआ यह चार दिवसीय पर्व शुक्रवार सुबह के अ‌र्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। व्रतियों ने 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद पारण किया।

पंडित शंकर शास्त्री ने बताया कि छठ पर्व पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मैया की उपासना का बहुत महत्व है। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ यह पूर्ण हो जाता है। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है कुछ छठ व्रती महिलाएं रात भर छठ घाट पर ही बैठी रही तथा कुछ शुक्रवार तड़के तीन बजे से ही व्रतियों ने घाटों पर पहुंचकर सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना शुरू कर दी थी। इसके बाद सूर्योदय होते ही अ‌र्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया। पूजा स्थल के नजदीक बज रहे छठ गीतों पर जहां युवा थिरकते नजर आए, वहीं बच्चों ने आतिशबाजी की चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा का महापर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया गया। छठ पर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न हो गया इस दौरान श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिला। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सभी श्रद्धालु घाटों से अपने घरों की तरफ लौट गए उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आस्था और संस्कार के पर्व छठ का समापन होता है। उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए आज शुक्रवार तड़के से ही छठ घाटों पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में दो बार सूर्य का अर्घ्य दिया जाता है। पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन डूबते सूर्य को दिया जाता है, जबकि दूसरा अर्घ्य सप्तमी तिथि को उदय होने वाले भगवान भास्कर को दिया जाता है। नदी, तालाब और नहरों पर बने छठ घाटों के पानी में उतरकर महिलाओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया सप्तमी तिथि के दिन छठ घाट पर पानी में खड़े होकर श्रद्धालुओं द्वारा उगते हुए सूर्य को जल दिया जाता है अपनी मनोकामनाओं के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है। इस बार आठ नवंबर यानी शुक्रवार को उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया गया, जिसके साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया। लोग घाटों पर सूर्य की तरफ हाथ जोड़कर अर्घ्य देते नजर आए श्रद्धालुओं द्वारा उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व समाप्त होता है और इसके बाद छठ का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रतियों ने गन्ने के बीच में मिट्टी के हाथी जो भगवान गणेश के रूप में होते हैं व कलशी रखा, गन्ने के पास मिट्टी के बर्तन में प्रसाद रखकर दीप जलाया और इसके साथ ही व्रत और उपवास संपन्न होता है।

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पर्व प्रारंभ हुआ था। वहीं, शुक्ल पक्ष की पंचमी खरना का विधान किया गया था। खरना की शाम को गुड़ वाली खीर का विशेष प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा के साथ व्रत रखा गया था। इसके बाद षष्ठी तिथि के पूरे दिन निर्जल रहकर शाम के समय अस्त होते सूर्य को नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य दिया गया और सूर्य उदय के साथ छठ पर्व का समापन हो गया सुरक्षा के मद्देनजर चौकी प्रभारी चुर्क सुनील कुमार मय फोर्स सभी छठ घाटों पर चक्रमण करते रहे।

सागोबांध गांव के प्रधानपति ने किया छठ व्रत

पुरुषों में जयप्रकाश शर्मा, गोपाल गुप्ता ग्राम प्रधान प्रतिनिधि, शिवपूजन, विजय, नरेश इत्यादि

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