दुद्धी – सोनभद्र / जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ सोन प्रभात
सोनभद्र -ओबरा ताप विद्युत गृह के कर्मचारियों, अधिकारियों तथा आसपास के लोगों के बच्चों को ओबरा में ही उच्च शिक्षा प्रदान कराने के अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन हेतु राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा की 1982 में स्थापना के लिए शासन एवं उच्च शिक्षा विभाग से महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को परियोजना कॉलोनी में ही अपने अधिकारियों कर्मचारियों की भांति, आवास, चिकित्सा, इत्यादि की सुविधाये उपलब्ध कराने के वचन से मुकरते हुए बिना कोई दूसरा आवास उपलब्ध कराए ओबरा तापीय विद्युत परियोजना प्रबंधन द्वारा “ओबरा डी परियोजना” के नाम पर महाविद्यालय के प्राध्यापकों (प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी) से विभाग द्वारा उनके निवास हेतु आवंटित आवासों को जबरन रिक्त कराने के लिए तानाशाही एवम मनमानी पूर्ण रवैया अपनाते हुए उनके आवासों पर बड़ी संख्या में अपनी फोर्स एवं अपने अधिकारियों को भेजकर उनको एवं उनके परिवार जनों को डराने -धमकाने, अपमानित एवम उत्पीड़न करने की शिकायत करते हुए, महाविद्यालय की स्थापना के लिए उस समय ओबरा तापीय विद्युत परियोजना द्वारा उत्तर प्रदेश शासन एवं उच्च शिक्षा विभाग को दिए गए वचनों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए ओबरा ताप विद्युत गृह के अधिकारियों की भांति महाविद्यालय के प्राध्यापकों को भी परियोजना कॉलोनी में ही उनके पद के अनुरूप दूसरा आवास आवंटित करने हेतु प्रदेश के माननीय समाज कल्याण मंत्री जी से मिलकर उनको पत्र दिया है।
विचारणीय प्रश्न यह है कि “क्या ओबरा डी परियोजना” एवम उसकी मशीनरी बॉयलर, टरबाइन, कोल हैंडलिंग प्लांट, ऐश हैंडलिंग प्लांट इत्यादि सब केवल प्राध्यापको के ही आवासों में लगाई जाएगी । उसी कॉलोनी मे उनके अगल-बगल एवं समीप के अन्य आवासों में रह रहे परियोजना के अधिकारियों के आवासों में नहीं लगाई जाएगी, जो केवल प्राध्यापकों पर ही अनुचित, अनावश्यक एवं अमानवीय दबाव बनाया जा रहा है। उनके इस निंदनीय, अनुचित एवम अमानवीय कृत्य से सरकार की भी छवि आम जनमानस में धूमिल हो रही है। बतातें चलें कि
ओबरा एक अत्यंत छोटी सी जगह है, जहां पर परियोजना कॉलोनी के अतिरिक्त समुचित आवासों की उपलब्धता न के बराबर है। महाविद्यालय के कैंपस में महाविद्यालय निर्माण की तत्कालीन कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद द्वारा प्राध्यापको एवं कर्मचारियों के लिए उस समय आवासों का निर्माण नहीं किया गया। जिससे आज यह समस्या खड़ी हुई है।
महाविद्यालय में आधे से अधिक छात्र -छात्राएं ओबरा ताप विद्युत परियोजना के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के ही पढ़ते हैं। ऐसी स्थिति मे ओबरा तापीय विद्युत परियोजना प्रबंधन का यह सामाजिक दायित्व एवं जिम्मेदारी बनती है कि वह महाविद्यालय के प्राध्यापको एवं कर्मचारियों के निवास हेतु आवासों को उपलब्ध करायें। जिससे वे मानसिक तनाव से मुक्त होकर स्वस्थ मन से उनके बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकें।
यदि उनके आवासीय कॉलोनी में जमीन की कमी है तो वह तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद द्वारा महाविद्यालय कैंपस में आवास निर्माण के छोड़े गए कार्य को पूरा करते हुए महाविद्यालय कैंपस में ही महाविद्यालय के प्राध्यापको एवं कर्मचारियों के लिए आवास का निर्माण करवाने का कष्ट करें एवं जब तक महाविद्यालय कैंपस में आवासों का निर्माण नही हो जाता, तब तक परियोजना कॉलोनी में ही उन्हें उनके पद के अनुरूप कोई अन्य आवास आवंटित करने का कष्ट करें, जिससे कि महाविद्यालय के प्रोफेसर्स की आवासीय समस्या का समाधान हो सके।
महाविद्यालय में इस समय स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं की परीक्षाएं तथा प्रवेश प्रक्रिया गतिमान है । साथ ही बारिश का भी मौसम है। ऐसे में महाविद्यालय के प्राध्यापकों को अनावश्यक रूप से परेशान एवं प्रताड़ित न किया जाए।
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