- ओबरा विधानसभा को अनुसूचित जनजाति से सामान्य सीट में बदलने की उठी मांग, सामाजिक कार्यकर्ता ने भेजा चुनाव आयोग को पत्र।
Sonbhadra News / Ashish Gupta / Prashant Dubey – Sonprabhat News
सोनभद्र जनपद के ओबरा विधानसभा क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षित सीट से हटाकर सामान्य सीट में परिवर्तित किए जाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। इस बार यह मांग क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता इम्तियाज शेख द्वारा की गई है, जिन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र प्रेषित कर ओबरा विधानसभा के आरक्षण को समाप्त कर इसे सामान्य सीट घोषित करने की मांग की है।

2012 में हुआ था ओबरा विधानसभा का गठन
सामाजिक कार्यकर्ता इम्तियाज शेख ने पत्र में उल्लेख किया है कि ओबरा विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2012 में किया गया था, जिसे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया था। उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में क्षेत्र की जनसंख्या संरचना और औद्योगिक स्वरूप में बड़ा बदलाव आया है। अब यह क्षेत्र औद्योगिक दृष्टि से तेजी से विकसित हो रहा है और विविध समुदायों की भागीदारी बढ़ी है, ऐसे में इसका आरक्षण अब प्रासंगिक नहीं रहा।
चुनाव आयोग को भेजा गया आवेदन
श्री शेख ने 29 अप्रैल 2025 को इस संदर्भ में एक औपचारिक आवेदन दिया था। इस पर कार्रवाई करते हुए 8 मई 2025 को लखनऊ स्थित उप निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से एक निर्देश जारी हुआ, जिसमें यह स्वीकार किया गया कि ओबरा विधानसभा एक औद्योगिक बाहुल्य क्षेत्र बन चुका है। ऐसे में यदि इसे सामान्य सीट में परिवर्तित किया जाए, तो अपेक्षित विकास की संभावनाएं और अधिक व्यापक होंगी।
औद्योगिक क्षेत्र को चाहिए व्यापक प्रतिनिधित्व
पत्र में इस बात पर भी बल दिया गया है कि चूंकि ओबरा क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की भरमार है — जैसे एनटीपीसी, ओबरा थर्मल पावर प्लांट, हिण्डाल्को, अनपरा परियोजना आदि — तो ऐसे क्षेत्र को सभी वर्गों की समान भागीदारी के साथ प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। सामान्य सीट होने पर हर वर्ग के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा, जिससे लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व और विकास, दोनों में संतुलन आएगा।
चुनाव आयोग से की गई विशेष अपील
सामाजिक कार्यकर्ता इम्तियाज शेख ने मुख्य चुनाव आयुक्त से अनुरोध किया है कि इस विषय को गंभीरता से लिया जाए और समय रहते ओबरा विधानसभा क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति आरक्षित से सामान्य सीट में परिवर्तित किया जाए ताकि आगामी चुनावों में समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
विश्लेषण: क्या बदल सकता है सीट का स्वरूप?
यदि चुनाव आयोग इस मांग पर सकारात्मक विचार करता है तो यह ओबरा विधानसभा की राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल सकता है। वर्तमान में यह सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग तक सीमित है, पर सामान्य सीट बनने पर विभिन्न वर्गों से उम्मीदवार सामने आएंगे, जिससे चुनावी प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय विकास योजनाओं की दिशा भी बदल सकती है।
जनता की राय जरूरी
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और आम नागरिक इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या ओबरा की जनता भी चाहती है सीट का यह रूपांतरण? और क्या चुनाव आयोग इस मांग को गंभीरता से लेकर कोई ठोस निर्णय लेगा?
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