कक्षा 6 की छात्रा सुप्रिया का अनोखा नवाचार — सूखे नारियल के छिलके से बनाया पर्यावरण हितैषी “चिड़ियों का घोंसला”

म्योरपुर, सोनभद्र  / आशीष गुप्ता /Son Prabhat

“लोकल फिर वोकल” की भावना को साकार करते हुए कम्पोजिट विद्यालय बभनडीहा, म्योरपुर की कक्षा 6 की छात्रा सुप्रिया ने एक अद्भुत नवाचार प्रस्तुत किया है। सुप्रिया ने सूखे नारियल के छिलके से चिड़ियों के लिए आकर्षक और टिकाऊ घोंसला तैयार किया है, जो पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता दोनों का प्रेरक उदाहरण बन गया है।

यह घोंसला न केवल सुंदर और उपयोगी है, बल्कि इसकी लागत भी अत्यंत कम है। बाजार में ऐसा घोंसला लगभग ₹100 से ₹150 रुपये में मिलता है, जबकि सुप्रिया ने इसे स्थानीय और उपलब्ध संसाधनों से स्वयं तैयार किया। इससे न केवल आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भरता को बल मिला है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का भी प्रतीक है।

विद्यालय के शिक्षकों और प्रधानाध्यापक श्री रजनीश कुमार श्रीवास्तव ने सुप्रिया के इस प्रयास की खूब प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि “सुप्रिया का यह नवाचार छात्रों के लिए प्रेरणादायक है। सूखे नारियल के छिलके का यह उपयोग हमें यह सिखाता है कि यदि हमारे पास इच्छाशक्ति और रचनात्मकता है, तो हम बिना किसी बड़े संसाधन के भी समाज और प्रकृति के लिए कुछ सार्थक कर सकते हैं।”

सुप्रिया का यह घोंसला अब विद्यालय परिसर में लगाया गया है, जहाँ चिड़ियाँ अब आश्रय लेती दिखाई दे रही हैं। इससे बच्चों में प्रकृति प्रेम और पक्षी संरक्षण की भावना भी विकसित हो रही है।

विद्यालय के एसएमसी अध्यक्ष श्रीमती मान कुमारी ने भी सुप्रिया की सराहना करते हुए कहा कि “छात्रा ने अपने छोटे से प्रयास से बड़ा संदेश दिया है— यदि हम प्रकृति से प्यार करें और स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग करें, तो हम पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को सशक्त बना सकते हैं।”

इस नवाचार ने यह सिद्ध कर दिया कि गांवों के विद्यालयों में भी प्रतिभा और नवाचार की कोई कमी नहीं, बस जरूरत है मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की। सुप्रिया जैसी छात्राएँ आने वाले समय में स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर भारत की नींव रख रही हैं।

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