हो गयी सुनी अयोध्या राम वन को जाने लगे का प्रसंग सुन श्रोता हुए भाव विभोर
म्योरपुर/पंकज सिंह
म्योरपुर मे चल रहे श्रीराम लीला मंचन के सातवे दिन का प्रसंग राम वनवास एव दशरथ मरण लीला का प्रसंग खेला गया लीला की शुरुवात दशरथ दरबार से होता हैँ

दसरथ जी अपने सभी मंत्रियो के साथ राम को अयोध्या का राजा बनाने की बात कहते हैँ जिसे सभी एक मत से अपना समर्थन देते हैँ अयोध्या मे राम का राज्याभिषेक के लिए कलुआ डोम द्वारा नगर की साफ सफाई बहुत ही रोचक अंदाज मे किया जाता हैँ इसी दौरान मंथरा आ जाती हैँ और साफ सफाई का उद्देध पूछती हैँ राम के राजा बनने की सुचना पर मंथरा बेचैन हो जाती हैँ

और तुरंत महरानी केकयी के पास जा कर केकयी को विश्वास दिलाती हैँ कि राम के राजा बनने के बाद दशरथ और राम उसे भूल जायेगे और भरत को कभी राजा बनने का अवसर नहीं मिलेगा ।मंथरा की बात मान केकयी कोप भवन मे चली जाती हैँ दासियों द्वारा कोप भवन मे जाने कि बात राजा दशरथ को पता चलता हैँ तो वे कोप भवन जा केकयी को मनाते हैँ मंथरा के षड्यंत्र के कारण, कैकयी ने अपने दो वरदानों का उपयोग करके दशरथ से राम को 14 वर्षों के लिए वनवास भेजने और भरत को राजा बनाने का वरदान मांगती हैँ जिसे राजा दशरथ दे मुरक्षित अवस्था मे हो जाते हैँ

रानी केकयी राम को बुला तुरंत 14 वर्षो के लिए वन जाने को कहती हैँ माँ पिता जी से पूछ राम वन जाने कि तैयारी करते हैँ श्री राम के साथ पत्नी सीता जी एव भाई लक्षमण भी बन जाने कि जिद्द करने लगते हैँ पत्नी एव भाई का जिद्द मान प्रभु श्री राम वन गमन को चलेजाते हैँ वही पुत्र वियोग के शोक में राजा दसरथ स्वर्ग सिधार जाते हैँ लीला का प्रसंग देश श्रद्धालू भाव विभोर हो जाते हैँ

इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष मोनू जायसवाल,कोषाध्यक्ष सुनील अग्रहरी (गोटया जी)मनदीप, आशीष अग्रहरी, राम लीला का मीडिया प्रभारी पंकज सिंह,जय सोनी श्यामू, रामु, अंकित अग्रहरी, प्रकाश अग्रहरी, ह्रदय अग्रहरी, प्रीतम सोनी, आनंद तिवारी वालेंटियर प्रमुख अलोक अग्रहरी अपने टीम के साथ एव तमाम कमेटी एव मंडली के कार्यकर्ता मौजूद रहे

