Sonbhadra News रिपोर्ट: Anil Agrahari संवाददाता डाला/ (सोनभद्र – सोन प्रभात)
सोनभद्र जनपद के खनन क्षेत्र में अनियमितताओं को लेकर कोटा निवासी निर्भय चौधरी, पुत्र स्व. सोमारू खान, ने एक बार फिर जिले की खनन व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। उन्होंने खनन निदेशालय को पत्रक के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर जांच के बाद विभाग द्वारा तीन प्रमुख खदानों पर खान अधिनियम, 1952 की धारा 22(3) के तहत कार्रवाई की गई है।
30 मई को हुई जांच, श्री स्टोन्स की खदान में अनियमितता उजागर
खनन निदेशालय की टीम ने 30 मई को बिल्ली मारकुंडी क्षेत्र में संचालित मे. श्री स्टोन्स की खदान का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टीम ने कई गंभीर खनन नियम उल्लंघन पाए, जिसके आधार पर खान अधिनियम की धारा 22(3) के अंतर्गत आदेश अधिसेपित किया गया।

इससे पूर्व की गई शिकायत के आधार पर अन्य दो खदानों — मे. बालाजी स्टोन वर्क्स और श्री राजेश कुमार एवं श्री तारकेश्वर प्रस्तद के पत्थर खदानों में भी खान निदेशालय द्वारा जांच की जा चुकी है और उन पर भी धारा 22(3) के तहत कार्रवाई की गई थी, जो अब भी प्रभावी है।
विभागीय कार्रवाई के बावजूद जारी है अवैध खनन
निर्भय चौधरी ने बताया कि भले ही खनन निदेशालय की ओर से कार्रवाई की गई हो, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय खनन संचालक विभागीय मिलीभगत से दिन-रात खुलेआम खनन कार्य जारी रखे हुए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों की लापरवाही और संरक्षण के कारण कार्रवाई के बाद भी कोई ठोस असर देखने को नहीं मिल रहा है।
उनका कहना है कि अगर समय रहते इस प्रकार के अवैध खनन पर पूर्ण रूप से रोक नहीं लगाई गई, तो क्षेत्र की पर्यावरणीय और भौगोलिक संरचना को गंभीर नुकसान हो सकता है।
क्या है धारा 22(3)?
खनन अधिनियम, 1952 की धारा 22(3) के अंतर्गत किसी भी खनन पट्टाधारी द्वारा किए गए अनियमित खनन, बिना स्वीकृति विस्तार, नियमों का उल्लंघन या पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी पर खनन कार्यों को रोकने और दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है। यह एक कठोर प्रशासनिक कार्रवाई मानी जाती है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
अब सवाल यह है कि जब तीन खदानों पर स्पष्ट रूप से उल्लंघन की पुष्टि के बाद कार्रवाई हो चुकी है, तो उन खदानों में खनन कार्य कैसे और क्यों जारी है? क्या यह विभागीय मिलीभगत का स्पष्ट संकेत नहीं है?
स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का भी कहना है कि यदि खनन नियमावली का इसी तरह से मखौल उड़ाया जाता रहा, तो क्षेत्र में पानी के स्रोतों, वनस्पतियों और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
मुख्य बिंदु
- शिकायतकर्ता: निर्भय चौधरी, कोटा निवासी
- जांच तिथि: 30 मई 2025
- जांच क्षेत्र: बिल्ली मारकुंडी, डाला
- कार्रवाई के दायरे में खदानें:
- मे. श्री स्टोन्स
- मे. बालाजी स्टोन वर्क्स
- श्री राजेश कुमार व श्री तारकेश्वर प्रस्तद की खदान
- लागू कानून: खान अधिनियम, 1952 की धारा 22(3)
- चिंता का विषय: कार्रवाई के बावजूद अब भी चल रहा अवैध खनन
सम्पादकीय टिप्पणी:
खनन क्षेत्र में ऐसी शिकायतें और जांच रिपोर्टें यह दर्शाती हैं कि कहीं न कहीं विभागीय निगरानी तंत्र कमजोर है या फिर भ्रष्टाचार में संलिप्त है। यदि आम नागरिक द्वारा उठाई गई आवाज पर कार्रवाई होती है, तो यह प्रशासन के लिए चेतावनी है कि समय रहते ज़मीनी स्तर पर कठोर कार्रवाई की जाए।
क्या आपकी नज़र में भी खनन से जुड़ी कोई गड़बड़ी है? आप इसे संबंधित विभाग या पत्रकारों तक पहुंचा सकते हैं। समाज का संरक्षण हमारी साझा जिम्मेदारी है।

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