डाला/सोनभद्र : संवाददाता – अनिल अग्रहरि/ सोन प्रभात
सोनभद्र जिले के कोन विकास खण्ड के अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत खेटकटवा में ग्राम प्रधान और सचिव की कथित मिलीभगत से सरकारी धन की खुली लूट का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सरकार की योजनाओं और पंचायती एक्ट का खुलेआम उल्लंघन करते हुए लाखों रुपये पंचायत खाते से निजी खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। यह मामला अब जिलाप्रशासन के संज्ञान में लाया गया है और जांच की मांग जोर पकड़ रही है।
सरकारी योजनाओं में भारी वित्तीय अनियमितता
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान ग्राम प्रधान ने ग्राम सचिव के साथ मिलकर त्रिमूर्ति एंटरप्राइजेज नामक फर्म के ठेकेदार से मोटा कमीशन लिया, जिसकी राशि लाखों में बताई जा रही है। इतना ही नहीं, पंचायत खाते से कई मजदूरी, मेठ और मटेरियल सप्लाई से जुड़ी धनराशि सीधे ग्राम प्रधान के निजी खाते में ट्रांसफर कर दी गई, जो कि पंचायती राज अधिनियम की खुली अवहेलना है।

बैठकों की आड़ में लाखों की बंदरबांट
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि ग्राम पंचायत सदस्यों को एक ही माह में दो-दो बार ₹1200 का भुगतान किया गया। अगर यह भुगतान बैठक उपस्थिति भत्ते के रूप में किया गया है, तो प्रश्न यह उठता है कि क्या एक वर्ष में वाकई 24 पंचायत बैठकें हुईं? यदि हाँ, तो प्रत्येक बैठक की प्रमाणिक कार्यवाही व अभिलेख कहाँ हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि सदस्यों को खुश रखने और अपनी अनियमितताओं पर पर्दा डालने के लिए यह भुगतान किया गया हो?
जांच से खुलेंगे और भी बड़े राज!
सूत्रों के अनुसार, अगर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, तो ग्राम प्रधान द्वारा अन्य कई ठेकेदारों से भी निजी लाभ लिए जाने की परतें खुल सकती हैं। कुछ ठेकेदारों ने मौखिक रूप से यह भी संकेत दिया है कि उन्हें भुगतान के एवज में कमीशन देना पड़ा, अन्यथा भुगतान लटका दिया जाता था।
जिलाप्रशासन से न्याय की गुहार
इस पूरे प्रकरण की शिकायत एक जागरूक ग्रामीण द्वारा जिलाधिकारी सोनभद्र से की गई है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह सिर्फ एक पंचायत का मामला नहीं है, बल्कि ऐसी अनियमितताएं अन्य ग्राम पंचायतों में भी हो सकती हैं। यदि सख्त और पारदर्शी जांच कराई जाए, तो पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहराई का पता लगाया जा सकता है।
सम्भावित विधिक कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ता और स्थानीय ग्रामीणों ने मांग की है कि पंचायत के लेखा परीक्षण (ऑडिट) से लेकर सभी फर्मों से किए गए भुगतानों, मजदूरी भुगतान, बैठक अभिलेख और कार्य योजना क्रियान्वयन की स्वतंत्र जांच कराई जाए। दोषी पाए जाने पर ग्राम प्रधान, सचिव एवं संलिप्त ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
जनता की आवाज़ दबाई नहीं जा सकती
खेतकटवा की जनता अब जवाब चाहती है। जो धन गांव के विकास के लिए आना था, वह किसकी जेब में चला गया? यह सवाल आज गांव-गांव में गूंज रहा है।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन कब तक इस गंभीर वित्तीय अनियमितता पर कार्रवाई करता है और क्या भ्रष्टाचारियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सकेगा?

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