December 24, 2024 8:22 AM

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गवर्मेंट ग्रांट के पट्टों पर मिले भौमिक अधिकार आइपीएफ ने भेजा मुख्यमंत्री को पत्र।

म्योरपुर/सोनभद्र – पंकज सिंह / आशीष गुप्ता – सोन प्रभात

रिहंद बांध से विस्थापित हुए परिवारों को मिले गवर्मेंट ग्रांट के पट्टों पर भौमिक अधिकार देने, टांगा पाथर, चेरी, झिल्ली महुआ जैसे वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने और विस्थापितों के साथ आजीविका व अन्य सुविधाएं देने के समझौतों और वायदों को लागू करने की मांग पर आज आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। आइपीएफ नेता द्वारा भेजे पत्र में कहा गया कि रिहन्द बांध के निर्माण के समय बड़ी संख्या में लोग विस्थापित होकर दुद्धी तहसील के विभिन्न गांवों में बस गए थे। जिन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इनके द्वारा बसी जमीन को आवंटित करने का आश्वासन दिया था। तत्पश्चात इन्हें गवर्मेंट ग्रांट का पट्टा आवंटित किया गया। जिन पर आज तक उन्हें भौमिक अधिकार नहीं मिला। इन गवर्मेंट ग्रांट की जमीनों को न तो ये बेच सकते है और न ही इन जमीनों पर इन्हें ऋण और किसान बीमा योजना, फसल बीमा योजना व किसान निधि जैसी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलता है। दुद्धी में टांगापाथर, चेरी, झिल्ली महुआ जैसे कई विस्थापितों के गांव आज तक राजस्व ग्राम घोषित नहीं किए गए और वह सरकारी रिकार्ड में वन ग्राम ही बने हुए है।
पत्र में कहा गया कि सोनभद्र जनपद में रिहन्द बांध और औद्योगिक व कोयला खनन परियोजनाओं के निर्माण से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है। विस्थापन के समय तत्कालीन सरकारों ने इनकी आजीविका की व्यवस्था करने और इनका विकास करने के वायदे और समझौते किए थे। लेकिन विस्थापितों की बहुतायत आबादी आज भी न्यूनतम सुविधाओं से वंचित है। हालात इतने खराब है कि रिहंद डैम के पास बसे हुए लोग इसके जहरीले हो चुके पानी को पीने को विवश है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी नगण्य है। उलटे औद्योगिक गतिविधियां बढने और पर्यावरण मानकों के उल्लंधन से प्रदूषण की विकराल होने की कीमत भी विस्थापितों को अदा करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में सीएम को हस्तक्षेप कर विस्थापितों की समस्याओं को हल करना चाहिए।

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