December 28, 2024 1:21 PM

Menu

गैंगेस्टर एक्ट के आरोपी को किया गया बरी-शेष नारायण दीक्षित

  • एक अभियुक्त से नही बनता गैंग चार्ट, गिरोह से बनता है गैंग चार्ट।

सोनभद्र – सोन प्रभात / आशीष गुप्ता / जितेंद्र चंद्रवंशी –

सोनभद्र। विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर एक्ट/अपर सत्र न्यायाधीश (एफ0टी0सी0) सोनभद्र में राज्य बनाम बहादुर पनिका पुत्र शंकर पनिका उम्र 86 साल निवासी खड़िया बाजार थाना शक्तिनगर, जनपद सोनभद्र अभियुक्त मुकदमा अपराध संख्या-1022 / 2008 धारा 3(1) उoप्रo गिरोहबन्द एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम थाना- शक्तिनगर, जनपद- सोनभद्र। में निर्णय पारित कर बरी किया गया।


गौरतलब है कि निष्कर्ष में अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता शेष नारायण दीक्षित उर्फ बब्लू दीक्षित द्वारा बहस करते हुए कहा गया कि गैंगचार्ट में मात्र एक मुल्जिम के विरूद्ध सम्बन्धित प्राधिकारी द्वारा अनुमोदन प्रदान करते हुए अभियुक्त बहादुर पनिका के विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा चलाये जाने की अनुमति प्रदान की गयी जो सरासर गलत है, क्योंकि एक व्यक्ति का कोई गैंग नहीं होता है। गैंगचार्ट में जो भी मुकदमें विरूद्ध अभियुक्त दर्शाये गये हैं, उन सारे मुकदमों में अभियुक्त की दोषमुक्ति हो चुका है तथा तत्कालीन जिला प्रशासन द्वारा भी अपने आदेश के माध्यम से यह कहा गया है कि अभियुक्त के विरूद्ध समाज विरोधी कियाकलाप का कोई मामला नहीं बनता है। अभियुक्त द्वारा न तो समाज में भय या आतंक व्याप्त किया गया है और न ही किसी गैंग का निर्माण कर अपने या अपने परिवार के सदस्यों के लिए आर्थिक या दुनियाबी लाभ प्राप्त किया गया है। चूंकि प्रस्तुत मामले के वादी मुकदमा के विरुद्ध अभियुक्त द्वारा सम्बन्धित न्यायालय में शिकायत की गयी थी। उसी पर क्षुब्ध होकर अभियुक्त के विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही यादी मुकदमा द्वारा की गयी है। अतः अभियुक्त को दोषमुक्त किया जाय। सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत मामले को साबित करने के लिए 5 गवाहों को मौखिक साक्ष्य के रूप में न्यायालय में परीक्षित कराया गया है। वादी मुकदमे के दबाव में आकर आरोप पत्र प्रेषित किया गया है जिससे कि अभियुक्त के ऊपर फर्जी मुकदमा कायम किया जा सके।
पत्रावली में दाखिल गैंगचार्ट प्रदर्श क-2 के अवलोकन से स्पष्ट है कि सम्बन्धित प्राधिकारी पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी द्वारा गैंगचार्ट में उल्लिखित पांच अभियुक्तों में से मात्र एक अभियुक्त बहादुर पनिका के विरूद्ध गैंगस्टर का मुकदमा चलाये जाने के लिए अनुमति प्रदान की गयी है। यहां यह तथ्य प्रकट करना होगा कि उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 में गैंग की जो परिभाषा दी गयी, उसके अनुसार गैंग में दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समाज विरोधी कियाकलाप में संलिप्त रहकर समाज में भय व आतंक व्याप्त करते हुए अपने या गैंग के सदस्यों के आर्थिक, भौतिक या दुनियाबी लाभ के लिए आपराधिक कृत्य किया जाता है। इससे स्पष्ट रूप से दर्शित है कि मात्र एक अभियुक्त बहादुर पनिका के विरूद्ध गैंग चार्ट का अनुमोदन करते हुए सम्बन्धित प्राधिकारी द्वारा उक्त अधिनियम के विरूद्ध क्षेत्राधिकार से परे जाकर कार्यवाही की गयी है। गैंगचार्ट में अभियुक्त बहादुर पनिका के विरूद्ध जितने भी 9 मुकदमे दर्शाये गये हैं। उन सभी में (मु०अ०सं०-974 / 2008 धारा-406, 420 भा०दं०सं० को छोड़कर) अभियुक्त या तो दोषमुक्त हो चुका है या तत्कालीन जिला प्रशासन द्वारा आगे कार्यवाही न किये जाने की संस्तुति की गयी है, जैसा कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता शेष नारायण दीक्षित उर्फ बब्लू दीक्षित द्वारा फेहरिस्त 49ख से कागज संख्या – 49ख / 2 ता 5 न्यायालय न्यायिक दण्डाधिकारी, दुद्धी, सोनभद्र द्वारा मुकदमा नम्बर-1074 / 90, राज्य बनाम बहादुर राम पनिका एवं अन्य में पारित निर्णय दिनांकित 21.12.96 की सत्यप्रतिलिपि की छायाप्रति का.सं.-49ख / 6 ता 9 न्यायालय सी. जे. एम. सोनभद्र द्वारा मुकदमा नम्बर-906 / 95 राज्य बनाम राम पनिका में पारित निर्णय दिनांकित 19.11.2002 की सत्यप्रतिलिपि की छायाप्रति का.सं.-49ख / 10 ता 12 न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट, सोनभद्र द्वारा मु.नं. 211 / 2017, राज्य बनाम बहादुर पनिका में पारित आदेश दिनांक 27.12.2017 की सत्यप्रतिलिपि की छायाप्रति का.सं.-49ख / 13 ता 18, न्यायालय ए. डी. एम. मिर्जापुर द्वारा मु.नं. 371 / 1968, राज्य बनाम बहादुर में पारित निर्णय दिनांकित 13.02.1971 की सत्यप्रतिलिपि की छायाप्रति का.सं.-49ख / 19 उपजिलाधिकारी, दुद्धी, सोनभद्र को सम्बोधित प्रार्थना पत्र दिनांकित 19.09.2021 की मूल प्रति का.सं.- 49ख / 20 आत्मा सिंह सचिव ब्लाक म्योरपुर द्वारा प्रेषित आख्या दिनांकित 23.09.2021 का.सं.- 49ख / 21 ग्राम पंचायत कोहरौलिया द्वारा जारी प्रमाण पत्र का.सं. 49ख / 22 उपजिलाधिकारी दुद्धी, सोनभद्र को सम्बोधित प्रार्थना पत्र दिनांकित 18.09.2021 की प्रति का.सं.-49ख / 23 आत्मा सिंह सचिव ब्लाक म्योरपुर द्वारा प्रेषित आख्या दिनांकित 23.09.2021. का.सं.- 49ख / 24 ता 26 न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट, सोनभद्र द्वारा मु.नं. 205 / 2009, राज्य बनाम बहादुर पनिका में पारित आदेश दिनांकित 07.11.2014 की सत्य प्रतिलिपि की छायाप्रति दाखिल प्रपत्रों से स्पष्ट है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि अभियुक्त बहादुर पनिका को गैंग चार्ट प्रदर्श क-2 में उल्लिखित मुकदमों में उसकी दोषमुक्ति के विरूद्ध वरिष्ठ न्यायालय में कोई अपील योजित है या नहीं, इस बारे में कोई भी साक्ष्य अथवा तर्क अभियोजन अधिकारी द्वारा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। बचाव पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क में यह कहा गया है कि जिस समय गैंगचार्ट का अनुमोदन किया जा रहा था, उस समय गैंगचार्ट में उल्लिखित दो अभियुक्त बिन्द्रा उर्फ नर्मदा पुत्र बच्चू तेली तथा रामदास पुत्र राजमन तेली की मृत्यु हो चुकी थी जोकि बचाव पक्ष की तरफ से पत्रावली में दाखिल कागज संख्या – 49ख / 20, 49ख / 21, 49ख / 23 से परिलक्षित है। अभियोजन द्वारा उक्त प्रपत्र के खण्डन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः यह स्पष्ट है कि वादी मुकदमा द्वारा दो मृतक व्यक्तियों के विरूद्ध भी गँगचार्ट तैयार कर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अनुमोदन हेतु रखा गया था, जो यह दर्शाता है कि वादी मुकदमा द्वारा अपने कर्तव्य पालन में घोर लापरवाही व उदासीनता दिखायी गयी है। गैंगचार्ट जोकि इस मुकदमे का आधार है जिसके आधार पर वादी मुकदमा द्वारा अभियुक्त के विरूद्ध यह अभियोग पंजीकृत किया गया है, के तैयार होने में ही अनियमितता इस मुकदमें की नींव को और अभियोजन कथानक को कमजोर कर देता है।

अभियुक्त बहादुर पनिका का गैंग होना ही अभियोजन सिद्ध करने में असफल रहा है।
जिसमे आदेश पारित किया गया कि
अभियुक्त बहादुर पनिका को धारा-3 (1) उ0प्र0 गिरोहबन्द समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्त जमानत पर है, उसके जमानतनामे निरस्त किए जाते हैं तथा प्रतिभूओं को उनके दायित्व से उन्मोचित किया जाता है। अभियुक्त द्वारा धारा – 437ए दं०प्र०सं० के अनुपालन हेतु बीस हजार रूपये का व्यक्तिगत बन्ध पत्र तथा समान धनराशि की दो जमानतें इस निर्णय के 07 दिवस के भीतर दाखिल की जावे। उक्त व्यक्तिगत बन्ध पत्र तथा जमानतनामें 06 माह की अवधि के लिए वैध रहेंगे तथा उसके उपरान्त स्वतः निरस्त हो जायेंगे। दिनांक: 05.10.2021 आशुतोष कुमार सिंह, विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर एक्ट /अपर सत्र न्यायाधीश (एफ०टी०सी०) सोनभद्र उक्त निर्णय आज मेरे द्वारा खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित दिनांकित करके सुनाया गया। दिनांक: 05.10.2021 (आशुतोष कुमार सिंह), विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर एक्ट / अपर सत्र न्यायाधीश (एफ०टी०सी०) सोनभद्र जे०ओ० कोड- यू०पी० 6357 द्वारा आदेश पारित किया गया।

Ad- Shivam Medical

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

For More Updates Follow Us On

For More Updates Follow Us On