- ‘समकालीन रचनाधर्मिता’ पर संगोष्ठी बनी चिंतन का केंद्र।
संपादकीय / आशीष गुप्ता / सोन प्रभात
सोनभद्र। साहित्यिक चेतना और रचनात्मक उत्सव का भव्य संगम रविवार को नगर पालिका सभाकक्ष, रॉबर्ट्सगंज में देखने को मिला, जब छठा अजयशेखर सम्मान तथा दो पुस्तकों के विमोचन समारोह ने समूचे सभागार को विचारों के प्रवाह से सराबोर कर दिया। इस गरिमामय आयोजन में हिंदी-आग्नेय गोंडी के प्रतिष्ठित कवि डॉ. लखनराम जंगली को श्री अजयशेखर सम्मान से अलंकृत किया गया।

इस विशेष अवसर पर भू-वैज्ञानिक प्रो. नागेश्वर दूबे की पुस्तक ‘अगोरी की मंजरी’ तथा विज्ञान शिक्षक प्रभात कुमार चौरसिया के कविता संकलन ‘बारिशें धूप की होती रहीं’ का विधिवत विमोचन हुआ। यह विमोचन समारोह अपने आप में अद्वितीय रहा क्योंकि मंच पर साहित्य, संस्कृति, विचार और सृजनशीलता के प्रतिनिधि एकत्र हुए थे।
विमोचन समारोह में मंचासीन रहे:
श्री अजयशेखर, पारसनाथ मिश्र, विनोद चौबे, श्याम किशोर जायसवाल, नरेंद्र नीरव, जगदीश पंथी, भोला नाथ मिश्र, अजय चतुर्वेदी ‘कक्का’, रमेशदेव पांडेय, लखनराम जंगली, मेघ विजयगढ़ी, राजकुमार जालान, विजय विनीत, खुरशीद, रोशनलाल यादव, विमल साहा, एवं अन्य साहित्यप्रेमी जन।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना से हुआ, जिसे अनुपमा वाणी ने स्वरबद्ध किया। अतिथियों का पारंपरिक स्वागत गजरे की माला और बनारसी गमछे से किया गया, जिसने समारोह को सांस्कृतिक गरिमा से भर दिया।
‘समकालीन रचनाधर्मिता’ विषयक संगोष्ठी कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही, जिसमें वक्ताओं ने गहन विचार प्रस्तुत किए। सभी लेखकों एवं साहित्यकारों से यह अपील की गई कि वे अपनी प्रकृति-संस्कृति तथा राष्ट्र के प्रति रचनात्मक प्रतिबद्धता और जागरूकता को निरंतर बनाए रखें।
यह पहला अवसर था जब सभागार में लगातार पांच घंटे तक लेखन के मौलिक उत्तरदायित्व और देश-परिवेश के प्रति संवेदनशीलता पर इतनी गंभीरता से विचार हुआ। यह विचार-श्रृंखला भविष्य में भी जारी रखने की घोषणा ने उपस्थित जनों में उत्साह भर दिया।
लेखकों की अंतर्कथा भी बनी आकर्षण का केंद्र, जब प्रो. नागेश्वर दूबे और प्रभात चौरसिया ने अपनी पुस्तकों के लेखन अनुभव साझा किए, जिसने साहित्यिक जिज्ञासा को और गहराया।
कार्यक्रम के अंत में रमेश देव पांडेय, नरेंद्र नीरव और जगदीश पंथी ने सभी अतिथियों, सहभागियों और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया। डॉ. लखनराम जंगली ने अजयशेखर सम्मान के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए आयोजकों और निर्णायक मंडल का धन्यवाद किया।
विचार-मंच तथा राष्ट्रीय संचेतना समिति द्वारा आयोजित यह समारोह अपनी वैचारिक गंभीरता, सांस्कृतिक गरिमा और साहित्यिक ऊँचाई के कारण एक स्मरणीय आयोजन बन गया।

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