सोनभद्र / संजय सिंह / सोन प्रभात
सूर्य उपासना का महापर्व छठ जिले में धूमधाम से मनाया जा रहा है शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुए पर्व के तीसरे दिन रविवार को रौप, सहिजन खुर्द, पुराने शिव मंदिर छठ घाटों और मुसही, सहिजन कलां में बने स्थायी और अस्थायी घाटों पर डुबकी लगाई और फिर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। व्रती महिलाओं के साथ ही उनके परिवारजनों ने भी छठ मइया का विधिवत पूजन-अर्चन किया। इस दौरान व्रती महिलाएं गीतों के माध्यम से छठ मइया की महिमा की बखान भी किया सोमवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।
दोपहर बाद से ही घाटों पर पहुंचने लगे श्रद्धालु
छठ घाटों पर दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। व्रती के साथ परिवार के लोग बुधवार दोपहर बाद तीन से बजे से घाटों पर पहुंचने लगे थे। यह सिलसिला अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने तक चलता रहा। पुरुष सिर पर टोकरी में लिए पूजन सामग्री के साथ घाटों पर पहुंचे, जबकि कलश पर जलते दीपक के साथ व्रती महिलाएं नंगे पैर छठ मइया के गीत गाते हुए घाट पर पहुंचीं। सूर्य उपासना के इस महापर्व पर छठ मइया के जयकारे से पूरा वातावरण गूंज रहा था। कुछ श्रद्धालु अपनी मन्नतों के चलते घर से लेट कर घाटों तक पहुंचे। सूर्यास्त का समय होते ही छठ व्रती पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। इसके बाद डूबते सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य अर्पित किया।
इस दौरान घाटों पर युवाओं और बच्चों में भी गजब का उत्साह देखा गया। इस दौरान पारंपरिक छठ गीतों मारबउ रे सुगवा धनुष से.., कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए.., छठि मइया होइह सहाय.. से माहौल भक्तिमय बना रहा सोमवार सुबह उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद पारण किया जाएगा।
सूर्य उपासना के छठ महापर्व के अवसर पर व्रत रखने वाले हजारों श्रद्धालुओं ने रविवार शाम को पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य दिया। छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। छठ पर्व को लेकर सभी छठ घाटों पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है। दोपहर दो बजे से ही श्रद्धालुओं रौप सहिजन खुर्द शिव मंदिर छठ घाटों की ओर जाने के लिए सडक़ों पर तांता लगा रहा। लोग छठी मईया के गीतों के साथ धूमधाम से ढोल व नगाड़ों के साथ छठ घाटों की ओर बढ़ रहे थे दो बजे से लेकर शाम साढ़े पांच बजे तक व्रत रखने वाली महिलाओं और पुरुषों ने प्रसाद और पूजा का सामान लेकर भगवान सूर्य देव की उपासना की जब तक सूर्य अस्त नहीं हुआ तब तक सभी व्रती पानी में ही खड़े रहे जब सूर्य अस्त हुआ तो अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा अर्चना करने के बाद व्रतियों ने अपने घरों की ओर प्रस्थान किया।
मान्यता है कि इस प्रकार सूर्य की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है सुरक्षा के दृष्टिगत चुर्क चौकी प्रभारी अजय श्रीवास्तव अपने हमराहियों के साथ सभी छठ घाटों पर चक्रमण करते रहे
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