बभनी ⁄ सोनभद्र
उमेश कुमार – सोनप्रभात –
- ग्रामीण कई सालों से कर रहे हैं जोखिम भरे पुल से आवागमन, बच्चे स्कूल में जाने के लिए लकड़ी के जोखिम भरे पुल से खतरा लेकर जाने को मजबूर।
सोनभद्र जिले के म्योरपुर ब्लॉक के पिंडारी ग्राम सभा आबादी क्षेत्र के बीच मे स्थित बिच्छी नदी के पास आवागमन लगभग 4 सालो से पुल टूटने के कारण पूरी तरह से बाधित हो गया है, जिसे लेकर स्थानीय ग्रामीण महिलाएं, बच्चों, बुजुर्गों, सहित आवागमन कर रहे लोगो को काफी परेशानियां का सामना करना पड़ता है।
- रात में गहरे पानी से होकर लकडी के बने अस्थाई पुल से गुजरने पर मजबूर ग्रामीण–
पुल न होने के कारण पानी मे घुसकर भी नदी के दोनों किनारे निवास कर रहे लोग आने –जाने को मजबूर हो गए हैं। कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने लकडी का अस्थाई पुल बनाकर जीवन को खतरे में डालकर आवागमन करने पर मजबूर हैं। जहां लगभग 10 किलोमीटर दूर में एनटीपीसी पावर प्लांट स्थित है, लोग अपना जीवन यापन करने के लिए मजदूरी का काम बीजपुर प्लांट में करते हैं ,जो शिफ्ट में ड्यूटी कर रोजाना घर वापसी करते हैं। एक ने बताया कि हम जब 2 बजे से काम पर लगकर रात्रि के 11 बजे काम से छूटते है तो घर वापस आते आते लगभग 12 बज जाता है और जब गांव में इस टूटे पुल के पास पहुंच कर इसे पार करना पड़ता है तो हमारा होश उड़ जाता है और किसी तरह डर भय से इस टुटे पुल के बीच मे ग्रामीणों की मदद से रखे गए लकड़ी के सहारे भगवान भरोसे रोजाना पार होते हैं। आगे एक ने कहा कि सरकार से निवेदन है, कि हम ग्रामीणों की इस भयानक रूप ले चुके समस्या का समाधान कर दिया जाता तो सरकार की हम जनता पर बहुत बडा उपकार होता। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए टूटे पुल को जल्द बनाये जाने की मांग किए हैं।
आपको बता दें कि इस नदी पर लगभग 6 साल पहले ही सपा सरकार के शासनकाल में बनी पुलिया भ्रष्टाचार के भेट चढ़ गया और महज कुछ महीनों में ही पहली बरसात से चकनाचूर होकर टूट गई। अब ग्रामीण आवागमन करते हुए जान की बाजी लगाकर राम भरोसे ग्रामीणो की मदद से बने लकड़ी के पुल से जोखिम भरा आवागमन कर रहे हैं। जिले के म्योरपुर ब्लाक अंतर्गत पिंडारी ग्राम सभा आबादी क्षेत्र से होकर गुजरने वाली बिच्छी नदी ग्रामीणों के लिए अभिशाप साबित हो चुकी है. जिसे लेकर ग्रामीण कइ बार हल्ला बोल कर चुके हैं, वर्ष 2013-14 में इस बरसाती नदी पर बने पुल का पोल खुल गया और नतीजा सबके सामने आया है।
इस पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत किया गया था, लेकिन यह पुल सिर्फ एक साल तक नही चल सकी और टूट गई, पिछले 6 सालों से यह पुलिया टूटी हुई है और ग्रामीणों की आवाज बुलन्दी के साथ दर्जनों बार गुहार लगाए जाने के बाद भी इसका निर्माण नहीं किया जा सका है। जिस से परेशान ग्रामीणों ने खुद ही आवागमन के लिए आत्मनिर्भर होकर लकड़ी का पुल बनाकर चलने को मजबूर हुए है।जिसे लेकर इस नदी में पुलिया के टूट जाने से पिंडारी के नगराज, सतपेड़वा, मनरहवा टोले में न तो एम्बुलेंस पहुंच सकती है, प्रसव पीड़ा के दौरान गर्भवती महिलाएं तड़पने को विवश होती नजर आ रही है। वहीं बच्चे विद्यालय जाने के लिये बांस-बल्ली के पुल पर से जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं, श्रमिक मजदूरी करने नहीं जा पा रहे हैं, ग्रामीणों ने अपनी इस समस्या को सांसद, विधायक, जिलापंचायत अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी के साथ जिलाधिकारी तक दर्जनों बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्राम प्रधान धीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि उन्होंने पुलिया की समस्या के निवारण के लिए 14 बार तहसील में पत्र लिखा, लेकिन इसके बावजूद परिणाम शून्य है, धीरेंद्र जायसवाल के मुताबिक पिंडारी ग्राम पंचायत के नगराज, सतपेड़वा एवं मनरहवा की आबादी लगभग 3 हजार की है और यहां अधिकांश अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं।
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