सोनप्रभात – पंचायत चुनाव 2021-(साभार- हिंदुस्तान)
आशीष गुप्ता ‘अर्ष’
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी आरक्षण सूची में गड़बड़ी की लगभग पुष्टि हो चुकी है। इसमें पटल सहायक को दोषी ठहराते हुए निलंबित भी कर दिया गया है। विभागीय अफसर हामी भर रहे हैं, लेकिन कारण बहुत हद तक बताने से परहेज कर रहे हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2005 में दो आरक्षण सूची तैयार हुई थी। एक मई में दूसरी जून में। मई के आरक्षण सूची पर भी कमेटी की मुहर लगी थी। पटल सहायक ने जून की बजाय मई की आरक्षण सूची निकाल ली। आरक्षण निर्धारण के दौरान अधिकारी पकड़ नहीं पाए।

लोगों की ओर से जब आपत्ति आई तो इसकी पड़ताल शुरू हुई। एडीओ से सत्यापन कराया गया। इसके बाद उजागर हुआ। बहरहाल, चर्चा है कि गड़बड़ी ठीक की जाएगी। फाइनल सूची 14 या 15 मार्च को जारी होगी। ग्राम प्रधान की सीट में बामुश्किल दस फीसदी परिवर्तन की बात कही जा रही है। अंतिम सूची फाइनल होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि कितनी गड़बड़ी हुई, कितना परिर्वतन हुआ।
पंचायतों में आरक्षण की सूची में गड़बड़ी को लेकर खूब हो-हल्ला मच रहा है। हालांकि सभी का यह मानना है कि आरक्षण को लेकर अनंतिम प्रकाशन हुआ है। इसके प्रकाशन के बाद दावा-आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया जाता है। आपत्ति जायज है तो विचार होना चाहिए। बहुतायत पंचायतों के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि फाइनल सूची प्रकाशन में इसे ठीक किया जाना चाहिए। अगर पंचायत विभाग की ओर से इसे नकारा जाएगा तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को हम सब विवश होंगे।
- ई-इपिक डाउनलोड कर लें नए मतदाता
विधानसभा निर्वाचक नामावली के संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान के तहत मतदाता सूची में नाम शामिल कराने वाले नए मतदाताओं को अपना ई-इपिक डाउनलोड करने का मौका दिया गया है। जिन मतदाताओं का यूनिक मोबाइल नंबर डाटा बेस में उपलब्ध है, उन्हें ही सुविधा का लाभ मिलेगा। हालांकि जिले में अभी भी काफी संख्या में नए मतदाताओं ने ई-ईपिक डाउनलोड नहीं किया है। ऐसे में निर्वाचन विभाग की ओर से 13 मार्च को बूथों पर विशेष शिविर का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान बीएलओ व पदाभिहित अधिकारी बूथों पर नए मतदाताओं का ई-इपिक डाउनलोड करने में मदद करेंगे।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी आरक्षण सूची में गड़बड़ी की लगभग पुष्टि हो चुकी है। इसमें पटल सहायक को दोषी ठहराते हुए निलंबित भी कर दिया गया है। विभागीय अफसर हामी भर रहे हैं, लेकिन कारण बहुत हद तक बताने से परहेज कर रहे हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2005 में दो आरक्षण सूची तैयार हुई थी। एक मई में दूसरी जून में। मई के आरक्षण सूची पर भी कमेटी की मुहर लगी थी। पटल सहायक ने जून की बजाय मई की आरक्षण सूची निकाल ली। आरक्षण निर्धारण के दौरान अधिकारी पकड़ नहीं पाए।

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