दुद्धी / सोनभद्र : जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ सोनभद्र
दुद्धी सोनभद्र प्राचीन तहसील प्रांगण में सैकड़ो वर्षों से चली आ रही मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लीला का शुक्रवार को रावण जन्म के बाद राजा रावण ने असुरों और दानवो के राजा ज्योतिषाचार्य और वास्तु और शिल्पकार मय दानव से युद्ध के शर्त में विजय उपरांत अपनी पुत्री मंदोदरी से विवाह का शर्त रखा जिस पर रावण ने विजय हासिल करते हुए मंदोदरी से विवाह किया। अलकापुरी को जीत कर लंका पुरी नाम रावण ने रखा। समुद्र से घिरा लंकापुरी आने जाने मार्ग सुगमता के लिए एकमात्र देवताओं के लिए उपयोगी पुष्पक विमान जो सौतेली भाई कुबेर के पास था मांगने गया जहां सौतेले भाई कुबेर ने स्वागत सत्कार कर गले लगाया।

रावण ने जैसे ही पुष्पक विमान की मांग की कुबेर ने इनकार कर दिया जिससे रावण ने जिद कर दी जिसपर युद्ध का शर्त कुबेर ने रखा। जिसमें रावण विजय होकर देवताओं का पुष्पक विमान हासिल किया। तत्पश्चात शक्ति को बढ़ाने के लिए राजा बाली के दरबार रावण पहुंचकर युद्ध के लिए ललकार जिस पर प्रतापी राजा बालि ने रावण कों युद्ध की जिद पर युद्ध लड़ने के लिए सुरक्षा कवच जमीन पर रखा उठाने की बात कहीं परंतु लाख कोशिश के बाद रावण कवच नहीं उठा सका। युद्ध से पूर्व पराजय से आक्रोशित रावण जा रहा था कि राजा बाली के 100 पुत्रों में से केज्येष्ठ पुत्र बाणासूर ने रावण कों पुनः जंगल में रस्सी से बंधक बना डाला। और पिता बाली के दरबार में लेकर पहुंचा जहाँ पुनः रावण निराशा दरबार में हुआ। बाली ने रावण को ससम्मान छोड़ने का निर्देश पुत्रों कों दिया।
जब बाली घनघोर तपस्या सूर्य देवता का कर रहा था तो रावण ने विघ्न डालने का पुनः प्रयास किया। जिस पर आक्रोशित बाली ने अपने बाजू में रावण कों दबाकर 6 महीने तक तपस्या सूर्य देवता को अर्घ देने के लिए जैसे प्रतापी राजा बाली उठा रावण अवसर पाकर भाग निकला।पराजय से आक्रोशित रावण जा रहा था कि राजा बाली के 100 पुत्रों में से केज्येष्ठ पुत्र बाणासूर ने रावण कों पुनः जंगल में रस्सी से बंधक बना डाला। और पिता बाली के दरबार में लेकर पहुंचा जहाँ पुनः रावण निराशा दरबार में हुआ। बाली ने रावण को ससम्मान छोड़ने का निर्देश पुत्रों कों दिया। जब बाली घनघोर तपस्या सूर्य देवता का कर रहा था तो रावण ने विघ्न डालने का पुनः प्रयास किया। जिस पर आक्रोशित बाली ने अपने बाजू में रावण कों दबाकर 6 महीने तक तपस्या सूर्य देवता को अर्घ देने के लिए जैसे प्रतापी राजा बाली उठा रावण अवसर पाकर भाग निकला। शानदार रावण का अभिनय पवन सिंह ने तो बाली का अभिनय देवेन्द्र मिश्रा आदि रामलीला नाट्य मंडली के कलाकारों ने अभिनय किया। व्यास पीठ पर विवेकानंद मिश्रा सहित मंडली ने खूब सराहनीय प्रस्तुति की। शनिवार कों भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव होगा।

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