July 31, 2025 6:39 AM

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नगवां ब्लॉक के गांवों में टैंकर परिचालन के नाम पर सवालों के घेरे में लाखों का खर्च, ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग.

सोनभद्र, सोनप्रभात। संवाददाता – वेदव्यास सिंह मौर्य


नगवां ब्लॉक की कई ग्राम पंचायतों में टैंकर परिचालन के नाम पर सरकारी धन के उपयोग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों और स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जिन गांवों में हर घर नल जल योजना और जल जीवन मिशन पहले से क्रियाशील है, वहां भी टैंकरों के संचालन को लेकर लाखों रुपये प्रतिमाह भुगतान किया गया है। इस मामले को लेकर अब घोटाले की आशंका जताई जा रही है और उच्चस्तरीय जांच की मांग की जा रही है।

कागजों में दौड़ते रहे टैंकर, धरातल पर कुछ और हकीकत

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले चार महीनों में नगवां ब्लॉक की कई ग्राम पंचायतों में टैंकर संचालन के नाम पर प्रतिमाह लाखों रुपये के बिल पास किए गए हैं। इनमें सरईगढ़, बनबहुआर, गोटी बांध, नंदना सिकरवार जैसे गांव शामिल हैं, जहां पहले से ही हर घर नल योजना और जल जीवन मिशन के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश के मौसम में जब अधिकतर हैंडपंप फिर से चालू हो चुके हैं, तब भी 14 जुलाई को पंचायत सचिवों द्वारा भारी-भरकम भुगतान किए गए, जो आश्चर्यजनक है।

जिम्मेदार अधिकारी मौन, निरीक्षण नहीं, जवाब नहीं

सूत्रों के अनुसार, यह भुगतान पंचायत सचिवों और ग्राम प्रधानों द्वारा किया गया, लेकिन इस दौरान बीडीओ और एडीओ पंचायत जैसी निगरानी एजेंसियों ने कोई स्थलीय जांच नहीं की। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा कागजों की खानापूरी कर सरकारी धन को अनावश्यक खर्च कर दिया गया।

इस मामले में जब पंचायत सचिव राकेश द्विवेदी से बात की गई तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह भुगतान पूर्व सचिव और तत्कालीन एडीओ पंचायत के कार्यकाल का है। ऐसे में एक-दूसरे पर दोषारोपण का सिलसिला भी देखने को मिल रहा है।

टैंकर, डिक्शनरी और मरम्मत – एक ही बिल में सब कुछ!

सूत्रों की मानें तो कुछ मामलों में तो एक ही बिल के अंदर डिक्शनरी रिबोर, टैंकर संचालन और मरम्मत तक का भुगतान कर दिया गया है। इन अनियमितताओं की अभी तक किसी भी स्तर पर ठोस जांच या कार्रवाई की खबर नहीं है।

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से की हस्तक्षेप की मांग

वर्तमान में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सोनभद्र से इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और कहा है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगी तो यह सरकारी योजनाओं पर से जनता का भरोसा कमजोर कर देगा। साथ ही उन्होंने 14वें, 15वें वित्त आयोग और प्रशासनिक मद के तहत हुए सभी खर्चों की विशेष जांच कराने की मांग की है।


नोट:
यह रिपोर्ट स्थानीय नागरिकों और सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तैयार की गई है। समाचार पत्र का उद्देश्य केवल संभावित अनियमितताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराना है, न कि किसी व्यक्ति या संस्था विशेष को दोषी ठहराना। यदि संबंधित विभागों द्वारा कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी किया जाता है, तो हम उसे भी यथासंभव प्रकाशित करेंगे।

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