Sonbhadra News/Report: जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरों चीफ सोनभद्र
दुद्धी, सोनभद्र। तहसील के खोखा बालू साइड पर कायदे कानून को ताक पर रखकर हों रहा अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा। विभाग का ढुलमुल रवैया बाहरी लोगों के अवैध खनन को बढ़ावा दें रहें। एक ओर जहां मुट्ठी भर बालू के लिए आम आदमी परेशान है। वही पूरा नदी का मानों खननकर्ता अस्तित्व मानक की अनदेखी कर मिटाने पर आमादा है।
नदी की धारा में रास्ता बनाकर हो रहा है खनन
दुद्धी के खोखा बालू साइट पर नदी की धारा के बीच में रास्ता बनाकर अवैध खनन किया जा रहा है। इससे न केवल नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है, बल्कि जलीय जीवों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह न सिर्फ नदियों की सेहत के लिए खतरनाक है, बल्कि पर्यावरण नियमों का भी सीधा उल्लंघन है। जांच टीम मौके पर जाती है परंतु सब ठीक-ठाक पाया जाता है यह बड़े हैरानी की बात है और साइकिल से बोर में बालू ढोने वालों पर कार्यवाही कर दी जाती है।
जांच टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि पांच साल के लिए मेंसर्स मंगल स्टोन क्रशर प्राइवेट लिमिटेड को 11.336 हेक्टेयर जमीन पर खनन की अनुमति दी गई है जिसका आराजी नंबर1 है।इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से में पानी का प्रवाह था और आंशिक भाग में खनन कार्य हो रहा था।
लेकिन रिपोर्ट में इस बात को नजरअंदाज किया गया कि नदी के बीच रास्ता बनाकर खनन कार्य किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से अवैध है। इस मुद्दे पर स्थानीय लोग और विपक्षी दलों ने अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं, यह आरोप लगाते हुए कि जांच केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित थी और वास्तविकता को छुपाने की कोशिश की गई।
उप जिलाधिकारी ने क्या कहा
उपजिलाधिकारी ने कहा कि पहले भी खोखा बालू खनन साइट से जुड़ी शिकायतें आई थीं, जिस पर खनन और राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर जाकर जांच की थी और समस्याओं को हल कर दिया गया था। अब एक बार फिर से ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं, जिन्हें लेकर प्रशासन गंभीर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर खनन कार्य के लिए एक मानक तय किया गया है, जिससे नदी के प्राकृतिक स्वरूप और धारा में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। अगर कहीं भी इस नियम का उल्लंघन पाया गया तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
खनन नियमावली का उल्लंघन
भारतीय खनिज विकास और विनियमन अधिनियम, 1957 और इसके तहत बने राज्य सरकारों के खनन नियमों में स्पष्ट प्रावधान हैं कि नदी की धाराओं में खनन करना सख्त मना है। नदी के बीच रास्ता बनाना या उसके प्राकृतिक स्वरूप में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करना अवैध माना जाता है। इसके अलावा, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और पर्यावरण मंजूरी के बिना किसी भी प्रकार का खनन अवैध है। खोखा साइट पर इन प्रावधानों का खुला उल्लंघन होता दिखाई दे रहा है, लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
पोकलेन से हो रहा है खनन
खनन साइट पर जेसीबी और पोकलेन मशीनों से बालू का खनन खुलेआम हो रहा है, इसके बावजूद जांच टीम इसे अनदेखा कर रही है। ऐसे में यह सवाल और भी गहरा जाता है कि क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है या फिर इसके पीछे किसी बड़ी साजिश का हाथ है।
जांच में शामिल सर्वेक्षक टीम ने बोलने से किया इनकार
खनिज विभाग के सर्वेक्षक योगेश शुक्ला से इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट अधिकारियों को सौंप दी गई है।
ज्येष्ठ खान अधिकारी ने क्यों नहीं उठाया फोन
वहीं, वरिष्ठ खान अधिकारी से भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कई बार फोन करने के बावजूद रिस्पॉन्स नहीं दिया। इससे उनकी भूमिका पर भी संदेह गहरा हो गया है।
सरकार को उठाने होंगे कड़े कदम
यह प्रकरण स्पष्ट करता है कि अवैध खनन पर रोक लगाने के दावे सिर्फ कागजी हैं। अगर समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो न सिर्फ पर्यावरण को, बल्कि सरकार की साख को भी नुकसान होगा। बाहरी लोग माहौल क्षेत्र का अवैध खनन की आड़ में बिगाड़ने पर आमादा है।
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