August 4, 2025 7:30 PM

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नाबालिग को भगाने के मामले में चंपा देवी को 5 वर्ष की सजा, पति पप्पू हुआ बरी।

  • पीड़िता को मिलेगा 3 हजार रुपये का मुआवजा, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला। 

सोनभद्र। राजेश पाठक / सोन प्रभात न्यूज 

करीब साढ़े सात साल पुराने नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने के गंभीर मामले में न्यायालय ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट)/अपर सत्र न्यायाधीश श्री अमित वीर सिंह की अदालत ने दोषसिद्ध पाते हुए चंपा देवी पत्नी पप्पू निवासी पटवध, थाना चोपन, जनपद सोनभद्र को 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि यदि अर्थदंड अदा नहीं किया गया तो उसे अतिरिक्त 15 दिन की कैद भुगतनी होगी।

कोर्ट ने पीड़िता के पुनर्वास और न्याय को ध्यान में रखते हुए यह भी आदेश दिया कि अर्थदंड की कुल राशि में से 3000 रुपये की धनराशि पीड़िता को बतौर मुआवजा दी जाए। साथ ही अदालत ने जेल में बिताई गई अवधि को भी सजा में समाहित करने का आदेश दिया।

 

📌 क्या था मामला?

घटना 15 फरवरी 2018 की है। पीड़िता के पिता ने 18 फरवरी 2018 को थाना चोपन में दी गई तहरीर में आरोप लगाया था कि उनकी 15 वर्षीय नाबालिग पुत्री को पप्पू पुत्र रामजियावन (निवासी पटवध, बिरनखाड़ी, थाना चोपन) बहला-फुसलाकर भगा ले गया। जब उन्होंने पप्पू के पिता रामजियावन से जानकारी मांगी, तो उन्होंने न केवल गुमराह किया बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी।

अगले दिन यानी 16 फरवरी को सुबह 10 बजे, पीड़िता ने परिजनों को फोन कर बताया कि वह गोपीगंज में है, लेकिन तभी कॉल कट गया। जब परिवार ने दुबारा संपर्क किया तो पता चला कि जिस व्यक्ति के साथ वह थी, वह उसे वहीं छोड़कर फरार हो गया।

पुलिस ने मामले की विवेचना के उपरांत पर्याप्त साक्ष्य जुटाए और पप्पू व उसकी पत्नी चंपा देवी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों, गवाहों के बयानों और उपलब्ध दस्तावेजों का गंभीरता से परीक्षण किया गया।

⚖️ फैसले की प्रमुख बातें

  • चंपा देवी को 5 वर्ष की सजा और ₹5000 का जुर्माना
  • जुर्माना न देने की स्थिति में 15 दिन की अतिरिक्त कैद
  • जुर्माने की राशि में से ₹3000 पीड़िता को मुआवजा
  • जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित
  • सह-आरोपी पप्पू को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया

प्रभावी पैरवी

इस संवेदनशील मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने मजबूती से पैरवी की, जिससे न्यायालय को दोषी को सजा सुनाने में मदद मिली।

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