- गुप्तकाशी में मिली दशावतार विष्णु की मूर्ति,काली सिलौटी प्रस्तर खंड से निर्मित है मूर्ति।
- 8 से 9वी शताब्दी के मध्य मूर्ति का निर्माण हुआ होगा।
- ऐतिहासिक नल राजा के मंदिर के क्षेत्र से प्राप्त हुई है यह मूर्ति।
- समय-समय पर नीव की खुदाई और तालाबों से प्राप्त होती रही है मूर्तियां।
- भगवान विष्णु के दशावतार की है यह मूर्ति।
- घोरावल क्षेत्र के बरकनहरा गांव में भी प्राप्त हो चुकी है,दशावतार विष्णु की मूर्ति,मूर्ति की पूजा अर्चना आरंभ।
- पुरातत्व विभाग की टीम जल्द ही मूर्ति पर शोध कार्य करेगी।
सोनभद्र – सोनप्रभात-: वेदव्यास सिंह मौर्य
रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) पुरातात्विक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक स्थलों से भरपूर गुप्तकाशी संप्रति सोनभद्र जनपद में समय-समय पर ऐतिहासिक अवशेषों का अवतरण नींव की खुदाई एवं तालाबों से होता रहा है। इसी क्रम में पन्नूगंज थाना क्षेत्र के परसिया गांव निवासी पारस गिरी पुत्र स्वर्गीय गंगू गिरी के घर के पीछे गड्ढे की खुदाई में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मूर्ति प्राप्त हुई है।
मूर्ति के मिलने के बाद ग्राम वासियों ने मूर्ति को स्नान करा कर तेल, फुलेल, चंदन इत्यादि का लेपन कर एक स्थान पर स्थापित कर पूजा पाठ आरंभ कर दिया है।
विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक/शोधकर्ता दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-“लगभग 2 फीट ऊंची काले सिलौटी प्रस्तर खंड से निर्मित यह मूर्ति भगवान विष्णु के दशावतार की है।
मूर्ति विज्ञान के आधार पर निर्मित मूर्ति में भगवान विष्णु के मत्स्य, नरसिंह, वाराह, कछुआ, बामन सहित अन्य 5 अवतारों को कलाकार ने एक ही शिलाखंड पर आकर्षक एवं कलात्मक ढंग से उकेरा है। मूर्ति की निर्माण शैली आठवीं से नौवीं शताब्दी की है।
विष्णु के 10 अवतार की मूर्ति घोरावल तहसील के शिवद्वार से ढाई किलो मीटर दूर बरकनहरा गांव के मंदिर में स्थापित है। यह मूर्ति भी कॉले सिलौटी प्रस्तर खंड से निर्मित है। जिस क्षेत्र में यह मूर्ति प्राप्त हुई है वह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से बहुत ही समृद्धशाली रहा है, इस क्षेत्र में मऊ, विजयगढ़ दुर्ग, नल राजा का मंदिर सहित अन्य कई ऐतिहासिक मंदिरों अवस्थित है। खंडित समूचे ऐतिहासिकअवशेष, मूर्तियां प्रकृति के सहारे बिखरी पड़ी हुई हैं।
यह ऐतिहासिक अवशेष भक्तजनों की आस्था और विश्वास के केंद्र बने हुए हैं और यहां पर पूजा- पाठ इत्यादि श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है।
सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर नर वर्मा और नागेंद्र वर्मा नामक शासकों का आधिपत्य रहा है और उस समय विजयगढ़ दुर्ग के कोटपाल दामोदर भट्ट थे, यह इलाका सतद्वारी पथक के अंतर्गत आता था। इस अभिप्राय का अभिलेख मऊ गांव के स्थलीय संग्रहालय में संग्रहित जैन तीर्थ कर शांतिनाथ के मूर्ति के पाद पीठ पर अंकित है। खुदाई में प्राप्त मूर्ति की जानकारी क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी वाराणसी के डॉक्टर सुभाष चंद यादव को दूरभाष के माध्यम से दे दी गई है। यथाशीघ्र ही पुरातत्व विभाग की टीम मूर्ति प्राप्ति स्थल पर आकर मूर्ति का शोध, जांच, पड़ताल आदि का कार्य करेगी।
Son Prabhat Live News is the leading Hindi news website dedicated to delivering reliable, timely, and comprehensive news coverage from Sonbhadra, Uttar Pradesh, and beyond. Established with a commitment to truthful journalism, we aim to keep our readers informed about regional, national, and global events.
The specified slider is trashed.