म्योरपुर (सोनभद्र)। Prashant Dubey – सोन प्रभात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “हर घर जल नल योजना” का उद्देश्य था कि वर्ष 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर तक पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। लेकिन सोनभद्र जिले के म्योरपुर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत खैराही में यह योजना कागज़ों तक सीमित होकर रह गई है। एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी गांव में पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है।
ग्रामीणों के अनुसार, प्रधानमंत्री हर घर जल नल योजना के तहत यहां पाइपलाइन तो जमीन के अंदर बिछा दी गई, लेकिन अब तक नल से पानी नहीं टपका। पाइपलाइन से घरों तक कनेक्शन तो दिया गया है, परंतु सप्लाई कभी शुरू ही नहीं हुई।

आदिवासी क्षेत्र अब भी प्यासा
ग्राम खैराही के 76 वर्षीय बुजुर्ग जइतलाल बताते हैं कि घुटनों की बीमारी के चलते उन्हें पैदल चलने में कठिनाई होती है, लेकिन पानी की जरूरत के लिए रोजाना कई किलोमीटर दूर जाना उनकी मजबूरी बन चुकी है।
वे दुखी मन से कहते हैं —
“अगर पाइपलाइन से जल आपूर्ति शुरू हो जाए तो हमें राहत मिलेगी। सरकार ने योजना तो शुरू की, लेकिन उसका लाभ हम तक अब तक नहीं पहुंचा।”
गांव के अन्य निवासी राजू, टुडीस, बगडो, अनिता, ननकी, आशा देवी, डब्बू, अमरिका, सूरज, रोहित, सावित्री देवी, प्रखर, सत्तार और फिरोज सहित कई ग्रामीणों ने अधिकारियों से जल आपूर्ति शीघ्र चालू करने की मांग की है।
कागज़ों में बनी योजना, ज़मीन पर अधूरी
खैराही ही नहीं, आसपास के किरवानी गांव में भी यही हाल है — पाइपलाइन बिछाकर काम अधूरा छोड़ दिया गया। वहीं रनटोला गांव में तो अब तक पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है। ग्रामीणों का कहना है कि काम अधूरा छोड़कर ठेकेदार और संबंधित विभागों के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
केंद्र की मंशा पर पानी फेर रहे हैं भ्रष्ट अधिकारी
प्रधानमंत्री की इस ऐतिहासिक योजना का मकसद था ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जल संकट से राहत देना। परंतु खैराही क्षेत्र में यह योजना विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हैं, जिनकी लापरवाही के कारण आज तक किसी घर के नल में पानी नहीं आया।
2019 में हुई थी शुरुआत — 2024 तक का लक्ष्य
प्रधानमंत्री हर घर जल नल योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को हुई थी, जिसका लक्ष्य था कि वर्ष 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में नल से पानी पहुँचे। लेकिन म्योरपुर जैसे आदिवासी क्षेत्रों में यह लक्ष्य अभी भी अधूरा है।
कौन है जिम्मेदार?
अब बड़ा सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार गांव-गांव में जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, तो आखिर खैराही, किरवानी और रनटोला जैसे गांवों में योजना क्यों ठप है?
क्या इसके लिए जिम्मेदार स्थानीय अधिकारी हैं, ठेकेदार हैं या फिर प्रशासन की अनदेखी?
गांव के लोग सवाल उठा रहे हैं कि —
“आखिर कब तक हम प्यासे रहेंगे, और कब मिलेगा हमें नल से पानी?”
जनता तय करेगी जवाब
इस पूरे प्रकरण में अभी तक किसी अधिकारी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। ग्रामीणों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि अब आने वाले समय में जनता ही तय करेगी कि इस विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है — स्थानीय जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी या भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी।
“हर घर जल नल योजना” का सपना अब भी अधूरा है… सोनभद्र के कई गांवों में पाइप तो हैं, पर पानी नहीं। सवाल वही है — ‘कब मिलेगा हर घर में जल?’
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