बंद खदानों को सुरक्षित रूप से चालू कराने को लेकर व्यापार मंडल अध्यक्ष ने खनन निदेशक को सौंपा ज्ञापन

डाला, सोनभद्र। अनिल कुमार अग्रहरी


बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में बंद पड़ी खदानों को सुरक्षा मानकों के तहत पुनः चालू कराने की मांग को लेकर डाला उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष मुकेश जैन के नेतृत्व में खनन निदेशक को ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन सौंपते समय अध्यक्ष मुकेश जैन के साथ संतोष शर्मा, रामू सिंह गोड, सुधीर सिंह एवं संजय मित्तल उपस्थित रहे। व्यापार मंडल पदाधिकारियों ने ज्ञापन की प्रति देते हुए बताया कि बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र की एक खदान में हुई दुर्घटना के बाद बिना समुचित जांच-पड़ताल के डीजीएमएस द्वारा क्षेत्र की 37 खदानों के खनन एवं परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।

इस प्रतिबंध के चलते खनन कार्य से सीधे जुड़े लगभग 10 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, जबकि उन पर आश्रित करीब 30 हजार परिवारों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। ये मजदूर भीषण ठंड, गर्मी और बरसात में भी खदानों में काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं।

खनन बंद होने से पत्थर ढोने में लगे दो हजार से अधिक टिपर, लगभग 500 कंप्रेसर मशीनें, तथा सैकड़ों पोकलेन मशीनों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया है। इसके साथ ही पत्थर खदानों पर निर्भर करीब 300 क्रशर प्लांट भी बंद पड़े हैं, जिससे “डाला स्टोन” के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्ध गिट्टी का उत्पादन पूरी तरह रुक गया है।

खनन उद्योग पर निर्भर डाला, ओबरा और चोपन क्षेत्रों में चाय-पान, ठेला-खुमचा, पंचर, सैलून आदि छोटी दुकानों पर भी रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। बेरोजगार मजदूरों और उनके परिवारों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो मजदूरों को मजबूरन रोज़गार की तलाश में अन्य प्रदेशों की ओर पलायन करना पड़ेगा।

व्यापार मंडल ने यह भी बताया कि पिछले पाँच दशकों से संचालित खनन उद्योग उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहयोग करते हुए प्रति माह लगभग 13 करोड़ रुपये का राजस्व देता रहा है। ऐसे में खनन को सुरक्षा मानकों के साथ पुनः शुरू कराकर जनपद में खुशहाली बहाल करने की मांग की गई।

व्यापार प्रतिनिधियों ने आग्रह किया कि खदानों को जांचोपरांत सुरक्षित रूप से पुनः चालू कराया जाए, ताकि दैनिक मजदूरों का जीवन सुखमय हो सके और गिट्टी उद्योग फिर से गति पकड़ सके।

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