बभनी–सोनभद्र– उमेश कुमार ⁄ सोनप्रभात
बभनी। कोरोना संक्रमण को लेकर सरकारी अस्पतालो में जहाँ सभी कर्मचारी व चिकित्सक जांच रिपोर्ट और टीकाकरण करने में मशगूल है,वहीं गैर पंजीकृत अस्पताल मरीजो को इलाज के नाम पर लूट खसोट कर मालामाल हो रहे हैं,जिसका खामियाजा स्थानीय गरीब व असहाय परिवार के मरीजो व परिजनों को भुगतना पड़ रहा है,आपको बता दें कि सोनभद्र जिले के बभनी ब्लॉक अंतर्गत इस क्षेत्र में तीन नर्सिंग होम संचालित हो रही है। वही क्षेत्र में सैकड़ो अवैध निजि अस्पताल बिना किसी कागजात के संचालित किए जा रहे है। जिस अस्पताल संचालन बड़े बड़े रोगों,मसलन कैंसर,बबासीर,हर्निया,एड्स जैसे संक्रामक बीमारियों का भी गारंटी के साथ इलाज करने का दावा करते है ।अप्रशिक्षित डॉक्टरों के इलाज के कारण ज्यादातर मरीज गम्भीर अवस्था मे पहुँच जाते है या असमय काल के गाल में समा जाते है।
फिलहाल ताजा मामला इन दिनों बभनी अम्बिकापुर मुख्य मार्ग पर जनता महाविद्यालय के सामने खुले “काशी मेमोरियल अस्पताल,, का नाम चर्चा का विषय बन गया है, जहा डाक्टरो की अनुपस्थिति में भी अप्रशिक्षित डॉ ऑपरेशन तक को अंजाम तक ले जाने का दावा करते है। मजेदार बात यह है कि विगत एक माह पूर्व में निजी अस्पताल “आर एम डी मेमोरियल एंड सर्जिकल सेंटर,के नाम से खुला था। लेकिन एक माह बाद ही उक्त अस्पताल का बोर्ड कागज के अभाव में “काशी मेमोरियल ट्रस्ट” हो गया। वर्तमान में यह अस्पताल छतीसगढ़ की सीमा से सटे आदिवासी वनवासी बाहुल्य क्षेत्र के गरीब लोगों का इलाज कर फर्जी तरीके से लुटा जा रहा है।
जिस अस्पताल की फर्जी तरीके से चलाने की शिकायत को लेकर समाजसेवी बिकास चौबे ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत दर्ज कराया था लेकिन जांच के नाम पर महज खाना पूर्ति की गयी।फिर मामले की शिकायत सोमवार को मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराया गया तब जाकर चिकित्सा विभाग के लोग उठे और इन लोगों पर कार्यवाही शुरू किया।
वही इस क्षेत्र में इन दिनों कई निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालोजी सेन्टर अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। इन अस्पतालों में अप्रशिक्षित डाक्टर बेधड़क होकर आपरेशन तक कर रहे हैं जिसके बाद मरीजों को लूट रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से मानक विहीन संचालित हो रहे ये निजी अस्पताल मरीजों को सिर्फ ठगने का कार्य कर रहे हैं। इन निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम में मरीज ठगी का शिकार होने के बाद अपनी जान भी गवा बैठते हैं। यहां मरीज के पहुचने पर तत्काल भर्ती कर लिया जाता है। रुपया ऐठने के लिए चिकित्सक बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं,यहा तक कि मेडिसिन संचालक मरीजो का आपरेशन तक करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं,जिसके बाद पहुंचे मरीजों का शोषण किया जाता है।
प्रसव पीड़िता को जब आशा बहू लेकर सरकारी अस्पताल में जाती है तो वहां से उसे टरका दिया जाता है और उस पीड़िता को आशा बहू निजी नर्सिंग होम में या जल्दबाजी में अन्य किसी अस्पताल में लेकर पहुच जाती है।बभनी में स्थित सरकारी अस्पताल में अधिकतर महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान जबाब दे दिया जाता है। जिससे मजबूर होकर निजी अस्पताल में इलाज कराने को तैयार हो जाते हैं।बभनी थाना क्षेत्र में अवैध निजी अस्पतालों की बाढ़ सी आ गई है। यह सब विभाग की कृपा चल रहा है। बाहर डाक्टर की डिग्री लिखी रहती है और अंदर अप्रशिक्षित डा.आपरेशन करते हैं। यह सब खेल विभाग की मिलीभगत से चलता है। इतना ही नहीं विभाग में तैनात एक चिकित्सक बभनी के महुवरिया में निजी अस्पताल चलाता है जो इस सरकारी चिकित्सक का रोजमर्रा का कार्य है। विभागीय अधिकारी जानते हुए भी निजी स्वार्थ में मौन रहते हैं।
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