June 24, 2025 3:07 AM

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बाउंस चेक मामला: शांतनु चतुर्वेदी को एक वर्ष की सजा, 14 लाख रुपये प्रतिकर देने का आदेश।

सोनभद्र / सोन प्रभात

सोनभद्र। जमीन के लेन-देन में एडवांस की रकम के बदले बाउंस चेक देने वाले आरोपी शांतनु चतुर्वेदी को अदालत ने दोषी करार देते हुए कड़ी सजा सुनाई है। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्री मुरलीधर सिंह की अदालत ने आरोपी को धारा 138 एनआई एक्ट के तहत एक वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने दो माह के भीतर परिवादी को 14 लाख रुपये प्रतिकर और 25 हजार रुपये अर्थदंड अदा करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि प्रतिकर की धनराशि निर्धारित समय में अदा नहीं की जाती है, तो आरोपी को एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

Image Source : Social Media

क्या है मामला?

परिवादी संजय कुमार चौबे पुत्र शशिकांत चौबे, निवासी मझिगांव चौबे, थाना रॉबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र ने अपने अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद सिंह के माध्यम से 7 अप्रैल 2023 को कोर्ट में परिवाद दाखिल किया था।

संजय चौबे ने बताया कि उन्होंने अभियुक्त शांतनु चतुर्वेदी पुत्र सत्यनारायण चतुर्वेदी (निवासी मझिगांव चौबे) से एक बीघा 4 विस्वा जमीन 14 लाख रुपये में खरीदने की बात तय की थी, जिसके एवज में 8 लाख 88 हजार रुपये एडवांस दिए गए थे।

जब बैनामा करने की बात आई तो आरोपी ने टालमटोल शुरू कर दी और बाद में कहा कि अब जमीन की कीमत 35 लाख रुपये हो गई है। जब संजय चौबे ने अपना एडवांस वापस मांगा, तो आरोपी ने 4 जनवरी 2023 को 6 लाख का चेक और 9 जनवरी 2023 को 1 लाख का चेक दिया।

हालांकि, दोनों चेक बैंक द्वारा बाउंस कर दिए गए क्योंकि खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं थी। इसके बाद 28 फरवरी 2023 को आरोपी को विधिक नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया, लेकिन इसके बावजूद भी आरोपी ने भुगतान नहीं किया।

कोर्ट ने सबूतों को माना मजबूत

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने परिवादी के बयान, दोनों बाउंस चेक, रजिस्टर्ड डाक से भेजी गई विधिक नोटिस, बैंक शाखा प्रबंधक निवास कुमार के बयान और अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों का अवलोकन किया। इन सबूतों के आधार पर कोर्ट ने शांतनु चतुर्वेदी को दोषी मानते हुए यह फैसला सुनाया।

अब क्या होगा?

अगर शांतनु चतुर्वेदी तय समय में प्रतिकर राशि नहीं चुकाते हैं, तो उन्हें एक माह की अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि प्रतिकर राशि की वसूली नियमानुसार की जाएगी।

यह मामला उन सभी के लिए चेतावनी है जो बगैर ईमानदारी के लेन-देन करते हैं। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बाउंस चेक देना गंभीर अपराध है और इसकी सजा निश्चित है।

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