March 12, 2025 11:16 AM

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माह-ए-रमजान 2 मार्च से होगा शुरू, मुस्लिम समुदाय ने की तैयारियां तेज.

Duddhi / Sonbhadra : जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी, ब्यूरो चीफ – सोनभद्र

दुद्धी, सोनभद्र। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सबसे पवित्र और मुबारक महीना माना जाने वाला माह-ए-रमजान इस बार 2 मार्च 2025, रविवार से शुरू हो रहा है। शनिवार की रात तरावीह की नमाज के साथ इसकी शुरुआत होगी, और यह पाक महीना अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में चांद के दीदार के बाद संपन्न होगा। रमजान को मुस्लिम धर्म में बेहद खास महत्व दिया जाता है। इस महीने में इस्लाम धर्मावलंबी रोजा (उपवास) रखते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में लगाते हैं। यह माह खुदा की रहमत पाने और नेक कार्यों को बढ़ावा देने का अवसर होता है।

रमजान की धार्मिक मान्यता

इस्लाम धर्म में रमजान को आत्मसंयम, त्याग और आध्यात्मिक शुद्धिकरण का महीना माना जाता है। इस दौरान रोजेदार सुबह ‘सहरी’ से लेकर शाम ‘इफ्तार’ तक बिना कुछ खाए-पिए खुदा की इबादत में लीन रहते हैं। रमजान का उद्देश्य सिर्फ भूखा-प्यासा रहना नहीं, बल्कि इंसान के अंदर दया, परोपकार, संयम और अनुशासन का विकास करना भी है।

इबादत और तरावीह की विशेष व्यवस्था

रमजान के महीने में मस्जिदों में विशेष नमाज तरावीह अदा की जाती है, जिसमें कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है। इस दौरान मस्जिदों को खूबसूरती से सजाया जाता है और वहां इबादत करने वालों की भीड़ उमड़ती है।

रमजान के दौरान दान-पुण्य की परंपरा

रमजान का महीना केवल रोजा रखने और इबादत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दान-पुण्य (जकात और फितरा) की भी विशेष परंपरा होती है। समाज के जरूरतमंद और गरीब तबके की मदद करने को इस्लाम धर्म में बड़ा सवाब (पुण्य) माना गया है। इसलिए रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग गरीबों को खाना खिलाने, वस्त्र व अन्य जरूरी सामान दान करने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

रमजान की तैयारियां जोरों पर

दुद्धी सहित पूरे सोनभद्र जिले में रमजान की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में खजूर, फल, सूखे मेवे और इफ्तारी से जुड़ी अन्य सामग्रियों की खरीदारी शुरू हो गई है। मस्जिदों में सफाई और लाइटिंग का काम भी किया जा रहा है। स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने रमजान को लेकर खास उत्साह दिखाया है और अल्लाह की इबादत के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

ईद-उल-फितर से होगा समापन

रमजान के समापन के बाद चांद के दीदार के साथ ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाएगा, जो इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन खास नमाज अदा की जाती है और एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी जाती है।

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