संपादकीय / सोन प्रभात
आज मुंबई हमले की 15वीं बरसी है। आज के ही दिन सरहद पार से आए आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मौत का ऐसा तांडव किया था,जिसे भारतवासी भूल नहीं सकता है।
26 नवंबर 2008 ही वो दिन था, जब पूरा देश मुंबई में हुए आतंकी हमले से डर और सहम गया था। आप सभी को यह जानने की आज ज़रूरत है कि आखिर आज से 15 साल पहले मुंबई में हुआ क्या था? कैसे आतंकियों ने मुम्बई को लाशों का शहर बना दिया था। ख्वाबों का शहर मुंबई अपने पूरे शबाब पर था, हर शाम की तरह आज 26नवम्बर की शाम भी गुलजार होती जा रही थी कि अचानक शहर का एक इलाका गोलियां की आवाज़ से दहल उठा किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि ये गोलियां सरहद पार से आए आतंकी चला रहे थे।
मुंबई पर हमले की शुरुआत लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से हुई थी। पहले तो किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि यह हमला इतना बड़ा भी हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे मुंबई के अन्य इलाकों से भी धमाकों और गोलीबारी की खबरें आने लगी। आधी रात होते होते मुंबई शहर मे आतंक का तांडव नज़र आने लगा था।
आतंक का तांडव मुंबई के व्यस्त रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर शुरु हुआ था। यहां मौजूद किसी यात्री को इस बात अंदाजा नहीं था कि स्टेशन पर आतंक का खूनी खेल होने वाला है वहां पर बड़ी संख्या में यात्री थे, दो आतंकवादियों ने वहां पहुंचकर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे और हैंड ग्रेनेड फेंकेने लगे थे। इस वजह से 58 बेगुनाह यात्री मौत के गाल में समा गए थे, जबकि कई लोग गोली लगने और भगदड़ की वजह से भीड़ में गिर जाने से घायल हो गए थे।
इस हमले को अजमल आमिर कसाब और इस्माइल खान नाम के दो आतंकवादियो ने अंजाम दिया था।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के अलावा आतंकवादियों ने ताज होटल, ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफ़े, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर हमले करना शुरु कर दिया था।
आधी रात होते होते पूरी मुंबई के कई इलाकों में हमले हो रहे थे।शहर में इस दिन कुल चार जगहों पर मुठभेड़ चल रही थी। पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बल भी मैदान में डट गए थे। एक साथ इतनी जगहों पर हमले ने सबको चौंका दिया था। इसकी वजह से आतंकवादियों की संख्या का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल हो रहा था।
26 नवंबर की रात में ही आतंकियों ने अपना टारगेट पूरी तरह से ताज होटल की तरफ कर दिया था। यहां आतंकवादियों ने कई विदेशी मेहमानों को भी बंधक बना लिया था।
ताज होटल के हेरीटेज विंग में आतंकवादियो ने आग लगा दी थी। 27 नवंबर की सुबह एनएसजी के कमांडो अब आतंकवादियों का सामना करने पहुंच गये थे। सबसे पहले होटल ओबेरॉय में बंधकों को मुक्त कराया और यह ऑपरेशन 28 नवंबर की दोपहर को खत्म हुआ और उसी दिन शाम तक नरीमन हाउस के आतंकवादी मे भी मारे गए थे। लेकिन होटल ताज के ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में 29 नवंबर की सुबह तक का वक्त लग गया था।
Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.