जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ। सोनप्रभात। दुद्धी, सोनभद्र। दुद्धी ब्लाक के अंर्तगत श्री राजा बरियार शाह रामलीला समिति महुली के तत्वाधान में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 सितंबर सोमवार को रात्रि 9:00 बजे मुख्य अतिथि सुरेंद्र अग्रहरी पूर्व डीसीएफ अध्यक्ष द्वारा मुकुट का पूजन आरती करके रामलीला का शुभारंभ किया गया। साथ ही रामलीला समिति के अध्यक्ष अरविंद जायसवाल,उपाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार,सोनू जौहरी,राजकपूर कन्नौजिया,कोषाध्यक्ष अमित कुमार,सचिव नंदकिशोर ,राकेश कुमार कन्नौजिया,द्वारा आए हुए अतिथियों का माला फूल से स्वागत किया। इसके बाद रामलीला मंडली के स्थानीय कलाकारों द्वारा नारद मोह लीला का मंचन किया गया।
रामलीला मंचन में दर्शाया गया कि देवर्षि नारद प्रभु का गुणगान करते हुए एक सुंदर रमणीय स्थान पर समाधिस्त से हो गए। जब इंद्र को नारद जी के समाधि के बारे में जानकारी हुई तब उन्होंने नारद जी के समाधि को भंग करने हेतु कामदेव और दो अप्सराओं को भेजो कामदेव वहां पहुंचकर नारद जी के समाधि को तोड़ने का काफी प्रयास करते हैं लेकिन वह असफल होकर नारद जी के पैरों पर गिर जाते हैं जब नारद जी की समाधि टूटती है तो कामदेव को अपने चरणों में झुका देखकर उन्हें समझा कर वापस इंद्र के पास लौट जाने को आदेश देते हैं। नारद जी को कामदेव प्रणाम करके वापस चले जाते हैं इस बात को नारद जी अपनी प्रशंसा ब्रह्मा जी ,शंकरजी से कह तो दोनों देवताओं ने मना करते हुए कहा कि आप इस बात को विष्णु जी से मत कहिएगा वे नहीं माने और वे भगवान विष्णु जी के पास जाकर के अपनी प्रशंसा कर सुनाई विष्णु जी नेअपनी माया से श्रीनिवासन नगर बसाया वहां के राजा सिलनिधि ने अपनी पुत्री विश्व मोहिनी का स्वयंवर रचाया था जिसमें नारद जी भी पहुंच जाते हैं।
नारद जी को देखकर सिलनिधि ने आदर सम्मान करने के बाद नारद जी से अपनी पुत्री के बारे में जानने की चेष्टा करते हैं नारद जी विश्व मोहनी की हस्त रेखा देखते ही उनके माया में मोहित हो जाते हैं और विष्णु जी के पास जाकर के उनके स्वरूप को मांगते हैं विष्णु जी ने अपने स्वरूप के बजाय बंदर का रूप दिया ।अब नारद जी बंदर का रूप लेकर स्वयंवर में उपस्थित होते हैं उधर श्री हरि विष्णु भी स्वयंवर में उपस्थित हो जाते हैं विष्णु जी को देखकर विश्व मोहिनी उनके गले में जय माल डाल देती है भगवान विष्णु मोहिनी के साथ अपने धाम के लिए प्रस्थान कर जाते हैं ।
राजा के दरबार में बंदर के रूप देख लोग खूब हंसते हैं इसी बीच शंकर जी के भेजे गए दो गणों ने नारद को उनका बंदर वाला चेहरा शीशे में दिखाते हैं अपने इस रूप को देख नारद क्रोधित हो जाते हैं और वहां से चले जाते हैं साथी नारद दोनों गणों को श्राप देते हैं कि जो तुम दोनों राक्षस बन जाओगे ।
मंचन के दौरान नारद के बंदर के रूप को देख दर्शक हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं और लीला का यहीं पर विश्राम होता है दूसरे दिन का रामलीला राम जन्म होगा।इस मौके पर सेकरार अहमद,क्लामुदीन सिद्दीकी,बुंदेल चौबे, चंद्र प्रकाश प्रजापति,सुरेंद्र कुमार, सैयद,नंदलाल गुप्ता, धर्मेद्र कुमार गुप्ता,सहित अन्य सम्मानित ग्रामीण उपस्थित रहे।
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