July 31, 2025 1:39 PM

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रक्तदान से बने खून के रिश्ते: बलिया में तैनात इंस्पेक्टर संजय शुक्ल के पुत्र रुद्रेश शुक्ला ने चौथी बार किया रक्तदान, पेश की इंसानियत की मिसाल.

Sonprabhat News | U.Gupta 

“देकर अपना रक्त बनाते हैं खून के रिश्ते, तभी तो लोग कहते हैं – आ गए फरिश्ते।”
यह पंक्तियाँ आज उस युवा पर एकदम सटीक बैठती हैं जिसने बिना किसी स्वार्थ के, किसी अजनबी के लिए अपना खून देकर न केवल इंसानियत का धर्म निभाया, बल्कि यह भी दिखाया कि नई पीढ़ी भी समाज सेवा में पीछे नहीं है।

मामला लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती वाराणसी निवासी 57 वर्षीय किडनी मरीज सतीश चंद्र तिवारी का है, जिन्हें इमरजेंसी में रक्त की आवश्यकता थी। मरीज के परिवार की चिंताओं के बीच फरिश्ते बनकर सामने आए बलिया IGRS सेल में तैनात इंस्पेक्टर संजय शुक्ल के 21 वर्षीय पुत्र रुद्रेश शुक्ला अंश, जिन्होंने बिना एक पल की देरी किए चौथी बार रक्तदान कर मरीज की जान बचाने में सहयोग दिया।

कैसे पहुँची मदद की कड़ी?

इस मामले की जानकारी समाजवादी पार्टी अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश के सक्रिय सदस्य एवं नियमित रक्तदाता डॉ. रवि गौड़ ‘बड़कू’ को मिली। डॉ. गौड़ ने ‘प्रयास फाउंडेशन’ को इस इमरजेंसी की सूचना दी।
फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य दिलीप दुबे ने तुरंत इंस्पेक्टर संजय शुक्ला से संपर्क साधा। इंस्पेक्टर शुक्ला ने बिना किसी औपचारिकता के अपने बेटे को इस मानव सेवा के लिए प्रेरित किया।

कौन हैं रुद्रेश शुक्ला?

रुद्रेश शुक्ला ‘अंश’, बीटेक के छात्र हैं और अब तक चार बार रक्तदान कर चुके हैं। वह अपने माता-पिता संजय शुक्ला और विनीता शुक्ला से प्रेरणा लेकर सेवा कार्यों में निरंतर भागीदारी निभा रहे हैं। उनके पिता संजय शुक्ला स्वयं भी नियमित रक्तदाता हैं और बलिया सहित जहाँ भी उनकी तैनाती होती है, वहां अपने सहकर्मियों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं।

मरीज के परिवार की प्रतिक्रिया

मरीज के पुत्र हार्दिक तिवारी ने प्रयास फाउंडेशन और रक्तदाता को धन्यवाद देते हुए कहा –

“हमारे परिवार के लिए यह मदद किसी चमत्कार से कम नहीं थी। हम अंश के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और दिल से आशीर्वाद देते हैं।”

 प्रयास फाउंडेशन का संदेश

प्रयास फाउंडेशन के दिलीप दुबे ने कहा:

“कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 वर्ष है, वजन 45 किलो से अधिक और हीमोग्लोबिन 12.5 है, वह पुरुष साल में चार बार और महिलाएं तीन बार रक्तदान कर सकती हैं। रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं। आइए इस नेक मुहिम का हिस्सा बनें और किसी की जिंदगी रोशन करें।”

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