सोनप्रभात- (धर्म ,संस्कृति विशेष लेख)
– जयंत प्रसाद ( प्रधानाचार्य – राजा चण्डोल इंटर कॉलेज, लिलासी/सोनभद्र )
–मति अनुरूप–
ॐ साम्ब शिवाय नम:
श्री हनुमते नमः
श्री रामचरितमानस के सामान्य पाठक माता कैकेयी को हेय दृष्टि से देखते हैं, पर माता कैकेयी प्रायः हर क्षेत्रों में अप्रतिम थी। मानस के आधार पर कैकेयी के प्रकट और गुप्त तथा लौकिक और पारलौकिक दो रूप दिखाई पड़ते हैं। कैकेयी जी का राम के प्रति अपार स्नेह था और इस आशय का कथन मानस में भरा पड़ा है। मंथरा के बहकाने पर कैकेयी कहती है–

सुदिन सुमंगल दायक सोई। तोर कहा फुर जेहि दिन होई।
राम तिलक जौ साँचेहु काली। देउँ माँगु मन भावत आली।
कैकेयी जी स्वयं कहती हैं कि राम सभी माताओं को समान मानते हैं, और मुझे तो विशेष स्नेह करते हैं –
कौशल्या सम सब महतारी। रामहि सहज सुभाय पियारी।
मो पर करहिं सनेहु विसेषी। मैं करि प्रीति परीक्षा देखी।
पुरवासिनी स्त्रियों द्वारा कैकेयी को समझाने पर भी यही भाषित हो रहा है–
भरत न मोहिं प्रिय राम समाना। सदा कहहु यहु सबु जगु जाना।
राजा दशरथ के कथन से भी राम पर कैकेयी का स्नेह स्पष्ट हो रहा है–
भामिनी भयउ तोर मन भावा। घर-घर नगर अनंद बधावा।
रामहिं देंउ कालि जुबराजू। सजहिं सुलोचनि मंगल साजू।
परंतु कैकेयी ने राम वनवास का वरदान नहीं बदला। इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिल रही है, कि घरवालों में आपसी प्रीति चाहे जितना भी हो, घर की स्त्रियां चाहे जितना भी ज्ञानी व योग्य हों पर सेवा से प्रसन्न होकर यदि चेरियों को सिर पर चढ़ाया, तो वह अपनी सारी योग्यता और सुबोधता को खोकर चुगली खाने लगती हैं और विवेक शून्य हो जाती है– ‘रहइ न नीच मते चतुराई।’ और यही सब अनर्थ का कारण बनता है।इसी कारण कैकेयी को घोर अपयश और विधवापन का भाग्य मिला।
महान लोगों के अनुचित प्रतीत होने वाले कार्यों में भी औचित्य छिपा रहता है। भगवान बामन के द्वारा बलि को छला जाना आदि अनेक कार्य जो अनुचित प्रतीत होते हैं, वह स्वार्थ नहीं परमार्थ पर आधारित होता है तथा परहित के लिए किया गया कार्य या त्याग व्यक्ति को महान बनाता है। कैकेयी नें राम की इच्छा को ध्यान में रखकर ही राम को वन में भेजा अन्यथा उनका पृथ्वी पर अवतार निरर्थक हो जाता। त्याग की मूर्ति कैकेयी नें विधवापन और अपयश सहकर भी राम का मनचाहा (गुप्त) किया, यह राम के प्रति उनके स्नेह की पराकाष्ठा ही थी।
माता कैकेयी नें विधवापन और राम वियोग का दु:ख ही नही सहा बल्कि अन्य रानियों को विधवा करने और राम के स्थान पर भरत के राज्याभिषेक का पाप और कलंक भी स्वीकार किया। सम्माननीयों के लिए तो अपयश करोड़ों मृत्यु के समान दु:खद होता है–
सम्भावित कहुँ अपजस लाहू। मरन कोटि सम दारुन दाहू।
दशरथ जी ने प्राण दे दिए पर अपयश नहीं लिया। भगवान की सेवा के लिए अपयश का भागी बनने की कठिन सेवा व्रत मात्र कैकेयी ही सम्पन्न कर सकी। भूभार उतारने हेतु प्रभु को भेजने का अपयश तो किसी को लेना ही था, जिसे स्वीकार कर कैकेयी राम प्रेमियों की श्रेणी में अग्रगण्य हो गयी।
कैकेयी कितना महान थी या राम के करीब थी मानस में राम के आचरण से बार–बार सूचित हो रहा है। चित्रकूट में देखें–
प्रथम राम भेंटी कैकेयी । सरल सुभाय भगति मति भेंयी।
राम ने कैकेयी के चरण पकड़ कर उनका उपकार जताते हुए उन्हें निर्दोष होने का संकेत किया–
पगपरि कीन्ह प्रबोधु बहोरी। काल करम विधि सिर धरि खोरी।
चित्रकूट से विदा भी राम ने कैकेयी को सर्वाधिक सम्मानपूर्वक किया–
भरत मातु पद वन्दि प्रभु, सुचिसनेह मिलि भेंटि।
विदा कीन्ह सजि पालकी, सकुच सोंच सब मेंटि।
अयोध्या लौटनें पर भी प्रथम मिलन का सौभाग्य प्रभु ने माता कैकेयी को ही दिया–
प्रभु जानी कैकेयी लजानी। प्रथम तासु गृह गए भवानी।
मानस के अनेक प्रसंगों में राम ने माता कैकेयी की निर्दोषता सूचित किया–
लखन कहेउ कछु बचन कठोरा। वरजि राम पुनि कीन्ह निहोरा।
या
पुनि कछु लखन कही कटु बानी। प्रभु बरजे बड अनुचित जानी।
दोसु देहिं जननिहिं जड तेई। जिन्ह गुरू साधु सभा नहिं सेई।
आदि–
सियावर रामचंद्र की जय
– जयन्त प्रसाद
- प्रिय पाठक! रामचरितमानस के विभिन्न प्रसंग से जुड़े लेख प्रत्येक शनिवार प्रकाशित होंगे। लेख से सम्बंधित आपके विचार व्हाट्सप न0 लेखक- 9936127657, प्रकाशक- 8953253637 पर आमंत्रित हैं।
Click Here to Download the sonprabhat mobile app from Google Play Store.

Son Prabhat Live News is the leading Hindi news website dedicated to delivering reliable, timely, and comprehensive news coverage from Sonbhadra, Uttar Pradesh, and beyond. Established with a commitment to truthful journalism, we aim to keep our readers informed about regional, national, and global events.

