रेणुका नदी में राख की मार, सोनभद्र फिर प्रदूषण की चपेट में, 21 दिसंबर से जल सत्याग्रह की चेतावनी.

सोनभद्र। आशीष गुप्ता / सोन प्रभात न्यूज

देश के सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल सोनभद्र एक बार फिर गंभीर पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है। वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण के मामले में देश का तीसरा सबसे प्रभावित क्षेत्र माने जा रहे सोनभद्र में अब नदियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा भी सोनभद्र में बढ़ते प्रदूषण को स्वीकार करते हुए इसके नियंत्रण और रोकथाम के निर्देश पूर्व में जारी किए जा चुके हैं, बावजूद इसके हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।

वर्तमान में सबसे गंभीर स्थिति रेणुका नदी की बताई जा रही है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार ओबरा ताप विद्युत परियोजना से निकलने वाली राख (ऐश) को सीधे रेणुका नदी में छोड़ा जा रहा है। यह नदी आगे चलकर सोन नदी में मिलती है, जिससे लगभग 20 किलोमीटर तक नदी का जल राख से भरा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा है। नदी की सतह पर जमी राख न केवल जल प्रवाह को प्रभावित कर रही है, बल्कि नदी के प्राकृतिक स्वरूप को भी नष्ट कर रही है।

जलीय जीवों और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर

रेणुका नदी में फैल रहा यह प्रदूषण जलीय जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। मछलियों और अन्य जलचर जीवों के मरने की आशंका लगातार बढ़ रही है। वहीं नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों में त्वचा रोग, सांस संबंधी बीमारियां और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने की शिकायतें सामने आ रही हैं।

प्रशासन को दी गई चेतावनी

इस गंभीर समस्या को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता जगत नारायण विश्वकर्मा ने 3 दिसंबर को मुख्यमंत्री, पर्यावरण मंत्री, पर्यावरण सचिव, मुख्यमंत्री पोर्टल, जिलाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र और सोशल मीडिया के माध्यम से अवगत कराया है। पत्र में स्पष्ट रूप से मांग की गई है कि रेणुका नदी में राख का प्रवाह तत्काल रोका जाए।

21 दिसंबर से जल सत्याग्रह की घोषणा

पर्यावरण कार्यकर्ता ने चेतावनी दी है कि यदि 20 दिसंबर तक रेणुका नदी में राख छोड़े जाने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो 21 दिसंबर से चकाड़ी क्षेत्र में रेणुका नदी के तट पर जल सत्याग्रह शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक होगा, लेकिन पर्यावरण और जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाना अब आवश्यक हो गया है।

तस्वीरें और वीडियो कर रहे सच्चाई उजागर

इस मुद्दे के साथ नदी की वर्तमान हालत को दर्शाने वाले वीडियो और फोटोग्राफ भी साझा किए गए हैं, जिनमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह नदी का पानी राख से ढक चुका है। यह दृश्य प्रशासन और प्रदूषण फैलाने वाले जिम्मेदार संस्थानों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप करे, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और रेणुका नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल और जीवन दोनों सुरक्षित रह सकें।

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