डाला/अनिल कुमार अग्रहरि/सोन प्रभात
जनहित में हो रही समस्याओं का जिम्मेदार कौन, ACP टोल या रेलवे ।
डाला/सोनभद्र – कई राज्यों को जोड़ने वाले पुल में दरार ने खोली गुणवक्ता की पोल, हादसे की अंदेशा को देखते हुए 20 जून 2023 से हाइवे का डायवर्जन डाला से गजराजनगर(ओबरा) होते हुए चोपन को कर दिया गया। अब गाड़ी वालों को 8 किलोमीटर घूम कर जनता होगा अपने गंतव्य को
उत्तर प्रदेश स्टेट हाइवे का निर्माण चेतक द्वारा वर्ष 2012 में 115 किलोमीटर जो नारायणपुर से हाथीनाला के लिए निर्माण कराया गया था । नए पुल के निर्माण होने से पहले पुराने पुल से गाड़ियों का आवगमन चल रहा था वही नए पुल का निर्माण डाला वैष्णो मंदिर के वास रेलवे लाइन को पार करने के लिए
तीन कंपनियों द्वारा रेलवे के सुपरवीजन में तैयार कराया गया। जो वर्ष 2016-2017 में बन कर तैयार हो गया। आखिरकार रेलवे के सुपरविजन में तैयार होने वाले पुल में गुणवक्ता पर सवालिया निशान खड़े करने लगा। झारखंड, छतीसगढ़ , मध्यप्रदेश को जोडने वाला हाइवे आज अपने आप मे रोना रो रहा है । हाइवे बन कर तैयार तो हुआ परन्तु कई जगहों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए। जिसकी मरम्मत को लेकर देखा जाय तो लगभग 3 महीनों से ज्यादा समय के लिए डायवर्जन हो सकता है।
जिलाधिकारी द्वारा संज्ञान लेने के बाद डायवर्जन की प्रक्रिया चालू कर दिया गया। 20 वर्षो के देख रेख में बना पुल राहगीरों के समस्या का साधन बन गया। अब डायवर्जन से बस ट्रक को खनन क्षेत्रों से गुजरना पड़ रहा है। चर्चाओ की माने तो खनन क्षेत्रो में अचानक होने वाले किसी बड़े घटना का जिम्मेदार कौन होगा । सूत्रों की माने तो रेलवे पर भी सवालिया निशान लगने सुरु हो गए। रेलवे की देख रेख में बना पुल आखिरकार डैमेज कैसे हो गया। जबकि सोनभद्र को ओवरलोड संचालन का जनक माना जाता है तो ऐसे स्थिति में कमजोर पुल निर्माण करने का क्या मकसद।