Reported By : जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ सोनभद्र ,
सोनभद्र जनपद उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित दुद्धी तहसील, सोनभद्र जनपद का एक अत्यंत पिछड़ा एवं जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है। यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से विशाल, खनिज-संपन्न एवं सीमावर्ती राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार से सटा हुआ है, जिससे इसकी रणनीतिक और प्रशासनिक महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। दुद्धी तहसील के दूरस्थ गाँवों से जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज की दूरी बहुत अधिक है, जिससे आम जनता को प्रशासनिक सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं न्यायिक सहायता प्राप्त करने में अत्यधिक कठिनाइयाँ होती हैं।संचार, परिवहन एवं विकास कार्यों में भी यह क्षेत्र अन्य तहसीलों की अपेक्षा बहुत पिछड़ा हुआ है। सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर इस क्षेत्र की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे प्रशासनिक दबाव भी बढ़ा है। ऐसे में दुद्धी को स्वतंत्र जिला बनाए जाने की माँग न केवल जनसुविधा की दृष्टि से उचित है, बल्कि यह शासन को जमीनी स्तर तक पहुँचाने और क्षेत्रीय विकास को गति देने के लिए भी अत्यावश्यक बन जाती है। इसी क्रम में यह जानने का प्रयास करेंगे कि दुद्धी को जिला बनाने के ठोस आधार क्या-क्या हैः-
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और पहचान:-
दुद्धी तहसील का ऐतिहासिक महत्व काफी पुराना है। यह क्षेत्र प्राचीन काल में कोल, गोंड, एवं आदिवासी समुदायों का निवास स्थान रहा है। यहाँ की सांस्कृतिक पहचान अलग है, जो इसे सोनभद्र के अन्य भागों से भिन्न बनाती है।
2. भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रीय विभाजन की आवश्यकताः-
दुद्धी तहसील सोनभद्र जिले के दक्षिणी छोर पर स्थित है। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार की सीमाओं से सटा हुआ है, जिससे इसकी भौगोलिक और प्रशासनिक स्थिति विशेष बनती है।साथ ही इसकी दूरी जिला मुख्यालय (राबर्ट्सगंज) से लगभग 80-100 किलोमीटर है।इस विशाल दूरी के कारण आम जनता को प्रशासनिक कार्यों के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती है।बारिश के मौसम में रास्ते कट जाते हैं, जिससे दुद्धी से राबर्ट्सगंज तक पहुँचना अत्यंत कठिन हो जाता है।ज़मीन की रजिस्ट्री, कोर्ट के कार्य, जिला अस्पताल की सुविधाएँ इन सभी के लिए लोगों को सैकड़ों किलोमीटर यात्रा करनी पड़ती है।विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी जनजातियों को अपने अधिकारों के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ती है।
3. जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से योग्यता:-
दुद्धी तहसील की जनसंख्या लगभग 6 लाख से अधिक है और क्षेत्रफल भी कई जिलों के बराबर है।जनसंख्या के आधार पर यह तहसील उत्तर प्रदेश की कई जिलों की जनसंख्या से अधिक है जैसे — श्रावस्ती, महोबा, हमीरपुर आदि। प्रशासनिक रूप से दुद्धी क्षेत्र में दर्जनों ग्राम पंचायतें, 2 से अधिक विकास खंड (ब्लॉक) जैसे म्योरपुर और बभनी शामिल हैं।

4. सामाजिक एवं जनजातीय संरचनाः-
दुद्धी एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है जहां मुख्यतः कोल, गोंड, चेरो और अन्य अनुसूचित जनजातियाँ निवास करती हैं। जनजातीय अधिकारों की रक्षा और उन्हें सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ देने के लिए स्थानीय प्रशासनिक इकाई (जिला) का गठन आवश्यक है।PESA कानून (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act) के तहत आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को बल देना अनिवार्य है।इसके लिए जिले का दर्जा ज़रूरी है।
5. प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यकता:-
सोनभद्र जिले की वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था दुद्धी तहसील के क्षेत्र को पर्याप्त सुविधा नहीं दे पा रही है।जिला मुख्यालय की दूरी के कारण तहसील और ब्लॉक स्तर पर अधिकार सीमित हैं।स्वास्थ्य, शिक्षा, कानून-व्यवस्था, ग्रामीण विकास और कृषि संबंधी योजनाओं की निगरानी में कठिनाई होती है। नई जिला संरचना से डीएम, एसपी, सीएमओ, जिला विद्यालय निरीक्षक आदि जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की सीधी उपस्थिति से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।जिससे योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन तेज होगा।
6. भौतिक और सामाजिक आधारभूत ढाँचाः-
दुद्धी तहसील में पहले से ही कई सरकारी संस्थाएं जैसे एसडीएम कोर्ट,सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र),पोस्ट ऑफिस, बैंकिंग नेटवर्क, कॉलेज, इंटर कॉलेज,पुलिस थाना व चौकियाँ और अन्य सुविधाएँ मौजूद हैं जो इसे जिला बनाने के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
इन सभी के साथ अगर जिला स्तर की सुविधाएँ जैसे डीएम आफिस, एसपी आफिस, कलेक्टरेट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट आदि जुड़ जाएँ तो दुद्धी एक पूर्ण जिला के रूप में उभर सकता है।
7. औद्योगिक एवं खनिज महत्वः-
सोनभद्र की तरह ही दुद्धी भी खनिज संसाधनों से भरपूर है। यहाँ बॉक्साइट, कोयला, ग्रेनाइट, और अन्य खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।सिंगरौली कोलफील्ड्स और रिहंद डैम इस क्षेत्र के निकट हैं, जो इस क्षेत्र को ऊर्जा राजधानी बनाते हैं।अगर यह जिला बने, तो खनिज नीति के तहत स्थानीय लोगों को रोजगार और राजस्व का बड़ा हिस्सा मिल सकेगा।
8. पर्यावरणीय और भू-आर्थिक महत्व :-
दुद्धी क्षेत्र जंगलों, पहाड़ियों और नदियों से घिरा हुआ है, जो इसे एक विशिष्ट पारिस्थितिक क्षेत्र बनाता है।
रिहंद नदी, कन्हार नदी, और गोविंद बल्लभ पंत सागर (रिहंद जलाशय) इस क्षेत्र में हैं।यह क्षेत्र जल संरक्षण, वन संरक्षण और पारिस्थितिकी आधारित विकास के लिए अनुकूल है। जिला बनने से पर्यावरणीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा।
9. राजनैतिक समर्थन और सामाजिक आंदोलनों का इतिहास:-
क्षेत्रीय नेताओं और संगठनों ने कई बार दुद्धी को जिला बनाने की माँग विधानसभा, संसद और जनता के मंच पर उठाई है।कई बार धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन और सामाजिक जनजागरण अभियान चलाए गए हैं।सिविल सोसायटी, छात्र संघ और पंचायत प्रतिनिधियों का समर्थन भी प्राप्त है।
10. उत्तर प्रदेश सरकार के नीति निर्देश:-
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल के वर्षों में कई नए जिले बनाए हैं जैसे अमेठी, श्रावस्ती, महोबा आदि।
दुद्धी सभी आवश्यक मापदंडों पर खरा उतरता है। जनसंख्या, क्षेत्रफल, भौगोलिक अलगाव, प्रशासनिक आवश्यकता, सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता आदि।
यदि राज्य सरकार इस दिशा में निर्णय लेती है, तो यह एक जनहितकारी कदम होगा।
12. संभावित जिला प्रशासनिक ढांचा:-
जिलाधिकारी कार्यालय को दुद्धी के वर्तमान तहसील भवन को विस्तारित करके किया जा सकता है
पुलिस अधीक्षक कार्यालय,दुद्धी थाने को बनाया जा सकता है।जिला अस्पताल हेतु दुद्धी सीएचसी को जिला अस्पताल में अपग्रेड किया जा सकता है।
शिक्षा विभागग कार्यालय को जीआईसी दुद्धी के ग्राउंड में बनाया जा सकता है। इसी प्रकार कृषि, आपूर्ति, राजस्व, समाज कल्याण दुद्धी सभी ब्लॉक मुख्यालयों से समन्वय संभव हो सकता है।
13. संभावित लाभ:-
योजनाओं की पहुँच सीधे गाँव-गाँव तक हो सकेगी।महिला सशक्तिकरण, बाल कल्याण और शिक्षा में सुधार होगा।खनिज संसाधनों का लाभ स्थानीय जनता को मिलेगा।अपराध नियंत्रण और त्वरित न्याय संभव होगा।
आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा बेहतर हो सकेगी।
निष्कर्ष
इस प्रकार, दुद्धी को जिला बनाने का निर्णय सामाजिक न्याय, क्षेत्रीय संतुलन और समावेशी विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। यह न केवल स्थानीय जनता की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करेगा, बल्कि सरकार की “सबका साथ, सबका विकास” की नीति को भी साकार करेगा।

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