डाला – सोनभद्र / अनिल कुमार अग्रहरि – सोन प्रभात

डाला सोनभद्र- ओबरा वन प्रभाग अंतर्गत वन रेंज डाला के गौराही में आदिवासी परिवार प्रयाग पुत्र तुलसी जिसे बनाधिकार का पट्टा कई वर्ष पहले से मिला हुआ है जहां उसे आवास मिलने के बाद अपने पट्टा सुदा जमीन पर मकान का निर्माण कराया जा रहा था जिसे वन विभाग की टीम द्वारा गिरा दिया गया अब गरीब व असहाय आदिवासी अपना दुखड़ा किस्से सुनाए।
डाला वन रेंज के गुरमुरा बिट अंतर्गत गौराही टोला में प्रयाग पुत्र तुलसी को कई वर्ष पहले वनाधिकार द्वारा खेती करने के लिए पट्टा दिया गया था जिस पर वर्तमान में आवास मिलने के दौरान एक कोने में अपने भवन का निर्माण कराया जा रहा था । जिसको वन विभाग के फारेस्ट गार्ड द्वारा पहुंच मकान को धराशाई कर दिया गया जबकि देखा जाए कहीं वन विभाग की जमीन पर सरहंगों के मकान बने पड़े हुए हैं , कहीं बना अधिकार के जमीन पर डाला वन रेंज के अंतर्गत ही वन विभाग के संज्ञान में जमीनों की बिक्री वनाधिकार के पट्टे वाली भूमि को किया जा रहा है। उस पर किसी जिम्मेदार व आला अधिकारी की निगाहें नहीं गई जबकि मकान बनते समय शिकायतें भी हुई लेकिन उस मकान को गिराने के लिए वन विभाग की टीम कभी खड़ी नहीं हुई ।
वन विभाग को जिस व्यक्ति से यह उम्मीद दिखा कि मकान गिराने के बाद यह आदिवासी अपनी आवाज नहीं उठा सकता उसे ही बन विभाग वालों ने अपना निशाना बनाया और वाह वाही लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी देखा जाए तो गुरमुरा अंतर्गत आबॉडी रूट से लेकर तेलुगूडवा, कोटा कई जगहों पर बनाधीकार के पट्टे मिलने के बावजूद भी मकान वन विभाग के देखरेख में ही बना दिए गए लेकिन आदिवासी की मकान को गिरा कर विभाग द्वारा लूटा जा रहा है तकमा।
देखा जाय तो लगभग 1 सप्ताह पूर्व मालो घाट टोल प्लाजा के पास लगभग 2 हेक्टेयर में जंगल का सफाया कर दिया गया वहां वन विभाग ने अपना वाहवाही नहीं लूटा ना अपनी नौकरी बचाने के लिए जिम्मेदारी उठाई । जब यहां आदिवासी का घर गिराना हुआ तो अपने आप को जिम्मेदार बताने लगे।
इस संबंध में गुरमुरा बीट गौराही टोला के फारेस्ट गार्ड बनवारी लाल तिवारी ने बताया कि वन विभाग की भूमि पर मकान बन रहा था बनाधिकार का अधिकार कृषि के लिए दिया गया है और उस पर मकान बनाना गलत है। वहीं वन विभाग के एसडीओ जेपी सिंह ने बताया कि यदि मकान बनाधिकार के पट्टे सुधा नंबर पर बन रहा था तो गलत नहीं है इस संबंध में क्षेत्रीय लेखपाल को बुलाकर अपने नंबर से संबंधित जांच करा लें इसके बाद अपना काम करें।
यदि लेखपाल से जांच करा कर ही स्पष्ट किया जा सकता है की जिस नंबर पर बनाधीकार का पट्टा मिला है प्रार्थी द्वारा उसी नंबर पर मकान बनाया जा रहा था अथवा नहीं यदि यह कंफर्म नहीं था तो वन विभाग को कैसे कंफर्म हो गया जिससे टीम ले जाकर के गरीब आदिवासी परिवार का मकान को धराशाई कर दिया गया।

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