म्योरपुर/पंकज सिंह
म्योरपुर रामलीला स्टेज पर चल रहे रामलीला मंचन के तीसरे दिन का लीला विश्वा मित्र के यज्ञ की रक्षा का प्रसंग खेला गया

लीला का शुरुवात विश्वा मित्र के आश्रम पर निशाचारो के यज्ञ को बिधवान्स करने से शुरू हुआ असुरो का आतंक देख विश्वा मित्र दशरथ दरबार मे जाते है एव यज्ञ की रक्षा करने को राम एव लक्षमण को आश्रम ले जाने की राजा दशरथ से मांग करते हैँ राजन द्वारा यज्ञ की रक्षा करने के लिए ऋषि मुनि का बात मान दशरथ जी वन मे भेजते हैँ विश्वा मित्र द्वारा श्री राम को दंडक वनो के रास्ते आश्रम जाने को दो रास्ता बताते हैँ एक रास्ता चार दिन का और दूसरा छः माह का श्रीराम द्वारा चार दिन के रास्ते मे जाने को कहा जाता हैँ

रास्ते मे दुष्ठ ताड़का मिलती हैँ जो मुनि व राज कुमार देख बहुत खुश होती हैँ और कहती हैँ आज मुझे भोजना बहुत अच्छा मिला हैँ इन्हे खा कर अपना भूख मिटाउंगी विश्वामित्र के कहने पर ताड़का को श्रीराम एक ही बाण मे वध कर देते हैँ उधर मारीच सुबाहु ताड़का को खोज मे मच्छी फटकार को जंगल मे भेजते हैँ ताड़का की खोज मे मच्छी फटकार वन मे विचरण करता हैँ जंगल मे मच्छी फटकार को ताड़का मृत अवस्था मे मिलती हैँ मच्छी फटकार मारीच सुबाहु दरबार मे जा कर दुःखद घटना को बताता हैँ

जिसे सुन मारीच सुबाहु आंख बबुला हो जाते हैँ और श्री राम से युद्ध करने की बात कह जंगल मे जाते हैँ जहाँ श्री राम मारीच सुबाहु मे भीषण संग्राम होता हैँ युद्ध मे दोनों योद्धा बीर गति को प्राप्त करते हैँ इसी प्रसंग के साथ लीला का समापन किया जाता हैँ इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष मोनू जायसवाल,कोषाध्यक्ष सुनील अग्रहरी (गोटया जी)मनदीप, आशीष अग्रहरी, अजय अग्रहरी, श्यामू, रामु, अंकित अग्रहरी, प्रकाश अग्रहरी, ह्रदय अग्रहरी रामलीला के मीडिया प्रभारी पंकज सिंह, प्रीतम सोनी, आनंद तिवारी वालेंटियर प्रमुख अलोक अग्रहरी अपने टीम के साथ एव तमाम कमेटी एव मंडली के कार्यकर्ता मौजूद रहे

