सिंगरौली / सुरेश गुप्त ग्वालियरी/ सोन प्रभात
- कवि समाज का आईना और समाज सुधारक होता है..डॉ एन पी “नीरज”
- वरिष्ठ कवि बलराम सिंह बघेल द्वारा लिखित पुस्तक “राग रागिनी” का हुआ विमोचन।
राष्ट्रीय साहित्य प्रभा मंच, बांसी, जिला मैहर के तत्वावधान में वैढन स्थित उत्कर्ष हायर सेकंडरी स्कूल के सभागार में 17 मई 2025 दिन शनिवार को सायं 6 बजे से सीधी जिले के चुरहट क्षेत्र के वरिष्ठ कवि श्री बलराम सिंह बघेल के नव प्रकाशित काव्य संग्रह राग रागिनी का विमोचन सह काव्य प्रभा का शानदार आयोजन किया गया। यह आयोजन शासकीय डिग्री कॉलेज वैढन के हिन्दी प्राध्यापक डॉ एन पी नीरज के मुख्य आतिथ्य, श्री प्रभाकर दुबे, विकास खंड शिक्षा अधिकारी वैढन के विशिष्ट आतिथ्य एवं सीधी जिले के सिहावल क्षेत्र से पधारे वरिष्ठ कवि श्री चन्द्र मणि शुक्ल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर पूजा अर्चना की गई, उसके बाद युवा कवयित्री सुश्री विभा तिवारी द्वारा सुमधुर स्वर में वाणी वंदना
करुणामई मां शारदे, वर दे हमें तू ज्ञान का, संकल्प है उत्थान का, सृष्टि के कल्याण का प्रस्तुत की गई। राष्ट्रीय साहित्य प्रभा मंच के उपाध्यक्ष प्रविन्दु दुबे चंचल ने माल्यार्पण कर एवं डायरी पेन भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया तथा अपनी अभिव्यक्तियों से भी अतिथियों का हार्दिक स्वागत, वंदन, अभिनंदन किया।
उसके बाद सीधी जिले के चुरहट से पधारे हुए वरिष्ठ कवि श्री बलराम सिंह बघेल के काव्य संग्रह राग रागिनी का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया, तदनंतर सिंगरौली जिले के उपस्थित काव्य मनीषियों द्वारा कविता पाठ की शुरुआत की गई।
कवि राम मिलन उपाध्याय ने जब सेहरा मूडे में बंधा, तब छोड़ नादानी, बने हम दूल्हे राजा, मधुरिम अंदाज में सुनाकर काव्य पाठ की प्रस्तावना के धरातल को सरस बना दिया।

श्री एस पी शाह ने, जहर निगल, देते सदा, सभी को प्राणवायु, कविता के माध्यम से जहां एक ओर पेड़ों की पीड़ा को बेबाकी से उकेरा है, वहीं दूसरी ओर पेड़ों के संरक्षण, संवर्धन हेतु जनमानस को जगाने का पुरजोर प्रयास भी है, कुल मिलाकर कविता सार्थक, प्रभावी एवं चिंतनपरक रही। प्रविन्दु दुबे चंचल ने वर्तमान विसंगतियों पर जोरदार प्रहार करते हुए, ऐसे गिरे, उठाने वाले, गिरे नहीं हैं, खाने वाले, कविता प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं। युवा कवयित्री सुश्री उर्मिला तिवारी ने, कलम को तलवार कर दो, डूबता जाता अरे संसार देखो, कविता का जोरदार प्रस्तुतीकरण किया। वरिष्ठ कवि श्री सुरेश गुप्त ग्वालियरी ने, शब्दों से गर खेलोगे तो शब्द रूठ भी जाते हैं, इनका न सम्मान किया तो हमको बहुत रुलाते हैं, उत्कृष्ट अभिव्यंजनात्मक भाव से युक्त कविता प्रस्तुत कर काव्य प्रभा को नूतन ऊंचाइयों तक पहुंचाने का अप्रतिम प्रयास किया तथा कतिपय अन्य चिंतनपरक यथार्थ रचनाएं प्रस्तुत की गईं।
डॉ सुरेश मिश्र गौतम ने, हमें तुमसे मुहब्बत है, तुम्हीं हो प्यार दुनिया में, एवं बघेली कविता, इहै कर जोरि कै विनती, मिटइ आतंक दुनिया मा, रहइ सबके खुशी मन मा, कटइ हर पाप दुनिया मा, प्रस्तुत कर शांति का आह्वान किया है। मनोहर लाल वर्मा ने लाजवाब स्वर में हृदय स्पर्शी, मनमोहक एवं सराहनीय आदिवासी गीत, मैं तो आदिवासी भइया, जंगल के रहैया, मैं तो आदिवासी, सुनाकर भाव विभोर कर दिया। संजीव पाठक सौम्य ने बेहतरीन बघेली रचना, महतारी बाप अईसा होइ गे, जबसे घरन मा प इसा होइ गे, प्रस्तुत कर परिवर्तन के दरवाजे पर दस्तक दिया है जो श्लाघनीय है। नारायण दास विकल ने, अवध के बसइया, ये आंख की पुतरिया, बड़ा नीक लागे, जंगल की डगरिया, गीत प्रस्तुत कर भारतीय संस्कृति को कायम रखने का प्रेरक संदेश दिया है। श्रीकमल शुक्ल अज्ञान ने बघेली हास्य व्यंग्य कविता, बन्द करा अब चुम्मा चाटी, टोरि दिहा खटिया के पाटी, दिन भर खाबा भरि के टाथी, तोहके अब केतना डांटी, सुनाकर लोगों को खूब हंसाया। युवा कवयित्री विभा तिवारी ने, हिन्द देश की सेना देखो, आज बहुत इठलाई है, देख राष्ट्र का गौरव धरती, आज मधुर मुसकाई है, प्रशंसनीय गीत प्रस्तुत कर मन मोह लिया। राग रागिनी काव्य संग्रह के रचयिता बलराम सिंह बघेल ने, शोषण, उत्पीड़न, अत्याचारों को, जननी देख दुखित होती, आज बेचारी मां वसुंधरा, तड़प तड़पकर है रोती, कविता के माध्यम से धरती की करुण पुकार को जनमानस के समक्ष प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ है। अध्यक्ष की आसंदी पर विराजमान सीधी जिले के वरिष्ठ कवि श्री चंद्रमणि शुक्ल ने अपनी प्रकाशित कृति, श्रीकृष्ण विनय पदावली के कुछ पद प्रस्तुत कर आत्यंतिक सुख की अनुभूति को पाने का मार्ग प्रशस्त किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे वैढन के विकास खंड शिक्षा अधिकारी श्री प्रभाकर दुबे ने कविता की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए आयोजन की निरंतरता पर जोर दिया एवं कार्यक्रम की भूरि भूरि सराहना की।
मुख्य अतिथि की आसंदी पर विराजमान डिग्री कॉलेज के हिन्दी प्राध्यापक डॉ एन पी नीरज ने कविता के विविध आयामों को उद्धरणों सहित प्रतिबिंबित करते हुए अपनी अभिव्यक्ति से आयोजन की सराहना किया तथा यह भी कहा कि कवि समाज का आईना एवं समाज सुधारक होता है, इसलिए स्पष्टवादी होकर कवि कर्म करना ही कवि धर्म है। डॉ नीरज ने राग रागिनी काव्य संग्रह की समीक्षा भी अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से की।
अन्त में, राष्ट्रीय साहित्य प्रभा मंच के उपाध्यक्ष प्रविन्दु दुबे चंचल ने उपस्थित सभी कवियों को डायरी पेन एवं सम्मान राशि भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीकमल शुक्ल अज्ञान ने एवं आभार प्रदर्शन प्रविंदु दुबे चंचल ने किया। कार्यक्रम में श्रोताओं की उपस्थिति सराहनीय रही।

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