- अमेठी से आईपीएल तक का प्रेरणादायक सफर, गांव में जश्न का माहौल
Sports News – Sonprabhat News Desk
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर प्रशांत वीर तिवारी ने वह कर दिखाया है, जो लाखों युवाओं का सपना होता है। आईपीएल 2026 की नीलामी में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने उन्हें 14 करोड़ 20 लाख रुपये की बड़ी रकम में खरीदकर न सिर्फ उनके करियर को नई ऊंचाई दी, बल्कि पूरे प्रदेश को गर्व से भर दिया। महज 30 लाख रुपये के बेस प्राइस वाले प्रशांत पर लगी इस ऐतिहासिक बोली के बाद उनके परिवार, गांव और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
प्रशांत वीर तिवारी अमेठी जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र स्थित गुजीपुर गांव के निवासी हैं। उनके पिता रामेंद्र तिवारी एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत हैं, जबकि मां अंजना तिवारी गृहणी हैं। बेटे की इस उपलब्धि की खबर मिलते ही माता-पिता ने वीडियो कॉल के जरिए प्रशांत से बात कर आशीर्वाद और बधाई दी। मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “मेरा सपना है कि मेरा बेटा एक दिन भारतीय टीम के लिए खेले और देश का नाम रोशन करे।”

प्रशांत की प्रारंभिक शिक्षा संग्रामपुर ब्लॉक के भारद्वाज एकेडमी और के.पी.एस. स्कूल में हुई। बचपन से ही क्रिकेट के प्रति उनका जुनून साफ दिखाई देता था। गांव के मैदानों में खेलते-खेलते उन्होंने बड़े सपने देखे और उन्हें साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की। बाद में उन्होंने भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में कोच गालिब अंसारी के मार्गदर्शन में क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। प्रतिभा को पहचान मिली और उनका चयन स्पोर्ट्स हॉस्टल मैनपुरी में हुआ, जहां से उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट की सघन ट्रेनिंग ली।

प्रशांत ने सहारनपुर से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया की अंडर-19 टीम में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। मेहनत रंग लाई और वे उत्तर प्रदेश रणजी टीम तक पहुंचे। एक ऑलराउंडर के रूप में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। बीते तीन वर्षों से वे यूपी टी-20 लीग में नोएडा किंग्स की ओर से खेल रहे हैं और इस सीजन टीम की कप्तानी भी कर चुके हैं। शानदार प्रदर्शन के चलते उन्हें यूपी टी-20 लीग में इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी मिला। इससे पहले वे मुश्ताक अली टी-20 ट्रॉफी में भी उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
आईपीएल में चयन की खबर फैलते ही गुजीपुर गांव में जश्न का माहौल बन गया। ढोल-नगाड़ों के साथ मिठाइयां बांटी गईं और लोगों ने एक-दूसरे को बधाइयां दीं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशांत ने यह साबित कर दिया है कि संसाधनों की कमी कभी भी सपनों की राह में बाधा नहीं बन सकती।

प्रशांत के पिता रामेंद्र तिवारी ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि मेरा बेटा जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाएगा। उसकी मेहनत और अनुशासन ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।” परिवार के अन्य सदस्य भी इस सफलता से बेहद खुश हैं। छोटे भाई आर्य वीर कानपुर में क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहे हैं, जबकि बड़ी बहन की शादी हो चुकी है।
गांव की गलियों से निकलकर आईपीएल के चमकदार मंच तक पहुंचा प्रशांत वीर तिवारी का यह सफर लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है। यह कहानी बताती है कि कठिन परिश्रम, समर्पण और आत्मविश्वास के साथ कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।
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