February 23, 2025 9:16 AM

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श्री महादेव इंटरप्राइजेज में धारा 22 के बावजूद अवैध खनन जारी, विभागीय मिलीभगत पर उठे सवाल

Sonbhadra News/Report: Anil Kumar Agrahari

डाला, सोनभद्र : स्थानीय बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित डाला बारी में संचालित श्री महादेव इंटरप्राइजेज की खादान में नियमों की अनदेखी करते हुए बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, खादान पर धारा 22 लगाए जाने के बावजूद खनन कार्य रुकने का नाम नहीं ले रहा है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो खदान संचालक भारी ब्लास्टिंग और बड़े पैमाने पर खनन कर लगातार अवैध रूप से बोल्डर निकाल रहे हैं। 

खनन नियमों की हो रही अनदेखी
खनन नियमावली के अनुसार, खनन केवल सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही किया जा सकता है, परंतु यहां रात-दिन भारी मशीनों का प्रयोग कर खनन जारी है। सोमवार को खदान में सैकड़ों टिपरों द्वारा लगातार बोल्डर लोडिंग और परिवहन होते देखा गया, जिससे यह मामला स्थानीय चर्चा का विषय बन गया है। खदान संचालकों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर पहाड़ी कटाई की जा रही है, जिससे पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंच रही है। 

शासन-प्रशासन बना मूकदर्शक
अवैध खनन के इस पूरे प्रकरण में स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि शिकायतों के बावजूद विभाग द्वारा केवल खानापूर्ति कर कार्यवाही की जाती है। वहीं, खनन कार्य में लगी मशीनों की संख्या और रात में जारी गतिविधियों से यह स्पष्ट होता है कि खदान संचालक किसी ऊंची पहुंच के बल पर नियमों को नजरअंदाज कर रहे हैं। 

निरीक्षण के बाद भी कोई असर नहीं
हाल ही में ओबरा के एसडीएम की टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया था, लेकिन इसके बावजूद खदान संचालकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। खनन परिहार नियमावली के अनुसार, खदान क्षेत्र में अंधेरा होने के बाद मजदूरों और मशीनों का प्रवेश वर्जित है, परंतु यहां खुलेआम इन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। 

सरकार के राजस्व को हो रहा नुकसान
अवैध खनन के कारण सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हो रहा है। खनन नियमों का उल्लंघन कर संचालित हो रही इस गतिविधि से सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय मिलीभगत के कारण यह अवैध कार्य जोरों पर जारी है, जिससे स्पष्ट होता है कि खदान संचालन में पारदर्शिता का अभाव है। 

जांच की मांग
स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। सवाल यह उठता है कि धारा 22 लगाए जाने के बावजूद खदान में अवैध खनन किसके सहारे किया जा रहा है? प्रशासन की निष्क्रियता से क्षेत्र में आक्रोश बढ़ रहा है। 

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