January 21, 2025 6:51 AM

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सम्पादकीय- नूरा कुश्ती बन्द कीजिए साहिब। “सन्तो का खत साहिब के नाम”

सुरेश गुप्त” ग्वालियरी”
(सोनप्रभात- सम्पादक मण्डल सदस्य)

हम संतोबाई बहुत खुश रहिन कि जितना कष्ट कोरोना से नही,उससे ज्यादा सुकून के दिन शराब बन्दी मे बीते।’

काम पर भी न जा सके, पैसे की तंगी रहिन, पर साहिब बड़े खुश रहिन। न इक दिन भी गाली -गलौज झेली , न मार कुटाई भइन ,लड़का काबू में रहा।

रूखा सूखा खायन पर शांति से दिन बीते। साहिब हमारे लिए तो ये संक्रमण के दिन खुशहाली वाले ही रहीन।

  • अब ई का करने जा रहे है सरकार ?

– कल ही टी वी में दिखली ये भयंकर नजारा , बप्पा रे बप्पा !! लगा जैसे कोई कोरोना की दवा बना ली है सरकार ने ; वही बंट रही है मुफुत में । परन्तु पता लगा ई तो दारू की दुकान है , न कोई मास्क, न डिस्टेंस केवल धक्कम पेल!!

  • साहिब क्या होगा आपके उस अभियान का ??

-जिसके लिए हमने घण्टे बजाये, थालियां पीटी, शंख बजाये ! आप तो बस बीमारी को भगाइए , हम सब परेशानी झेलने के लिए तैयार हैं, भूखे भी रह लेगें कुछ माँगेगे भी नहीं, ये आपसे संतोबाई का वादा है।

  • मेरा बचवा बहुत खुश बा। कि साहिब जी,  ठेकेदार पर दवाब बना रहे है ,कि दुकानें खोलो।

– वो तो ठेकेदार ही नहीं तैयार हो रहा है ,कि समय सीमा बढ़ाई जाये, इतनी जल्दी दुकानों को न बन्द कराया जाये।

“लोग बहुत दिनों से प्यासे बैठे है सो बन्दों को शौक ए जाम के लिए अतिरिक्त समय दिया जाये।”

और फिर साहिब आप पूरी ताकत लगाकर निर्देश का पालन शत प्रतिशत नही करा पाते तो हम से कैसे उम्मीद कर सकते है, कि हम सोशल डिस्टेन्स का पालन कर पायेगें। हम गोला बनाएंगे तो उधर से गाली ही मिलेगी / सो साहिब बस यही मुद्दा है कि मामला लटका हुआ है।

न तोको ठौर न मोको और‘ सो नूरा कुश्ती का फैसला कभी भी आ सकता है और हमारे जनपद में कभी भी दुकान के सामने नारियल फूट सकता है।

मेरा बचवा भोलू नारियल खरीद कर तैयार बैठा है। हो सके साहिब तो संतू बाई के लिए लॉक डाउन का समय और बढ़ा दें परन्तु शराब के दुकानें खोलने की अनुमति न दे।
यही गुजारिश है, बड़े सरकार से साहिब!!

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