November 22, 2024 5:07 AM

Menu

सम्पादकीय– सोलह कलाओं से युक्त एव सुख प्रदान करने वाला होता है शरद पूर्णिमा का चंद्र।

सम्पादकीय – सुरेश गुप्त “ग्वालियरी” – सोन प्रभात ; शरद पूर्णिमा विशेष

शास्त्रों में कहा गया है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की चांदनी में अमृत का निवास होता है, इसलिए इस दिन उसकी किरणों में अमृत और आरोग्य की प्राप्ति का योग होता है। यही कारण है दूध व खीर से बने पात्र खुले आसमान के नीचे शरद पूर्णिमा की पूरी रात छोड़ देते है और दूसरे दिन सुबह सुबह सबसे पहले उसे ही ग्रहण करते है।

कहा जाता है चंद्रमा हम लोगों का स्वामी है चंद्रमा को पितरों का अधिपति भी कहा जाता है,जिसका दूसरा नाम सोम है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी पर आती है जो कल्याण कारी होती है। भगवान श्री कृष्ण ने इसी शुभ तिथि से रास लीला का श्रीगणेश किया था इसे कौमुदी महोत्सव अथवा रासोत्सव भी कहा जाता है। धर्माग्यो का मानना है शरद पूर्णिमा की चांदनी के तेज से मानसिक विकार,नेत्र विकार,चर्म विकार आदि व्याधियों से मुक्ति मिलती है,तो आइए चंद्र पूजन व दर्शन कर लौकिक पारलौकिक सुख प्राप्त करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

For More Updates Follow Us On

For More Updates Follow Us On