July 31, 2025 6:42 PM

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सोनभद्र के आदिवासी चिंतक डॉ. लखन राम जंगली और पर्यावरणविद् जगत नारायण विश्वकर्मा विद्यासागर विश्वविद्यालय कार्यशाला में होंगे शामिल

म्योरपुर- Ashish Gupta/ Prashant Dubey सोनभद्र Sonprabhat News 

साहित्य, संस्कृति और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष पहचान बना चुके म्योरपुर ब्लॉक अंतर्गत लीलासी निवासी डॉ. लखन राम जंगली एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरण कार्यकर्ता श्री जगत नारायण विश्वकर्मा को पश्चिम बंगाल के विद्यासागर विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रतिभाग हेतु आमंत्रित किया गया है।

1 व 2 अगस्त 2025 को आयोजित इस कार्यशाला का आयोजन भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें आदिवासी परंपराएं, पर्यावरणीय मुद्दे, जड़ी-बूटी चिकित्सा और भारतीय संस्कृति में आ रहे परिवर्तन पर गहन विमर्श किया जाएगा।


आदिवासी चेतना के वाहक: डॉ. लखन राम जंगली

डॉ. लखन राम जंगली न केवल एक संवेदनशील कवि और लेखक हैं, बल्कि सोनभद्र की आदिवासी जीवनशैली के प्रामाणिक chronicler माने जाते हैं। उनका लेखन वनवासी जीवन, परंपराएं, बोली-बानी, संस्कृति, और लोक विश्वासों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जाना जाता है।उन्होंने वर्षों तक आदिवासी समाज के बीच रहकर उनके दर्द, संघर्ष, जीवनशैली और लोक भाषा को साहित्य में स्थान दिया है। उनके लेख और कविताएं हिंदी साहित्य में आदिवासी स्वर की मुखर अभिव्यक्ति के रूप में मानी जाती हैं।डॉ. जंगली ने प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटी आधारित उपचार पर भी लंबा काम किया है, जिसमें आदिवासी ज्ञान परंपराओं का गहन उल्लेख मिलता है। वे विभिन्न संगठनों एवं सरकारी संस्थाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में वक्ता के रूप में भी सम्मिलित होते रहे हैं और सामाजिक बदलाव व शिक्षा प्रसार के क्षेत्र में भी उनकी भूमिका सराहनीय रही है।


जगत नारायण विश्वकर्मा: पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी जागरूकता के प्रेरणास्त्रोत

सोनभद्र के वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरण कार्यकर्ता श्री जगत नारायण विश्वकर्मा पर्यावरणीय चेतना और आदिवासी क्षेत्रों में जागरूकता प्रसार के लिए वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने जंगलों, जल स्रोतों, खनन प्रभावित क्षेत्रों और जनजातीय जीवन पर स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर आलेख प्रकाशित किए हैं। उन्होंने कई बार आदिवासी अधिकारों, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्राचीन वन चिकित्सा पद्धति के पक्ष में स्वर बुलंद किया है।


कार्यशाला का उद्देश्य और महत्व

कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से 30 से अधिक विशेषज्ञ भाग लेंगे, जिनमें शामिल हैं:
🔹 प्रो. किशोर पटवर्धन (बीएचयू आयुर्वेद विभाग)
🔹 प्रो. शेख फिरोज (IIT खड़गपुर)
🔹 डा. निर्मल कुमार महतो
🔹 मुंबई, BHU, IIT सहित कई अन्य संस्थानों के शोधकर्ता व विशेषज्ञ

कार्यशाला की संयुक्त संयोजक और डॉ. भीमराव अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय की प्रो. डॉ. बिना सेंगर के अनुसार, कार्यक्रम का उद्देश्य है:

  • दीर्घकालीन अध्ययन की पद्धतियों को समझाना

  • जनजातीय भाषाओं और लोक परंपराओं के विलुप्त होने की प्रक्रिया पर मंथन

  • जड़ी-बूटी चिकित्सा, डेटा प्रबंधन और शोध संरचना की समझ विकसित करना

  • आदिवासी जीवनशैली और संस्कृति में हो रहे परिवर्तनों की समीक्षा करना


सोनभद्र की सांस्कृतिक थाती को मिलेगा राष्ट्रीय मंच

डॉ. लखन राम जंगली और श्री जगत नारायण विश्वकर्मा की उपस्थिति इस कार्यशाला को सोनभद्र के आदिवासी समाज और पारंपरिक ज्ञान की प्रतिनिधि आवाज़ प्रदान करेगी। यह पूरे जनपद के लिए गर्व की बात है कि यहां के जमीनी कार्यकर्ता और लेखक राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी मुद्दों और सांस्कृतिक विषयों को रख रहे हैं।

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