December 28, 2024 11:25 PM

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सोनभद्र : ठंड के मौसम में बच्चों के आहार में बदलाव, मिड डे मील में शामिल हुआ पोषक तत्वों से भरपूर भोजन.

सोनभद्र में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के आहार में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। कुपोषण की समस्या से निपटने और छात्रों के शारीरिक व मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए मिड डे मील में नई पोषक सामग्री शामिल की गई है।
सोनभद्र

Sonbhadra News : Sonprabhat Live News 

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े जनपदों में शामिल सोनभद्र में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के आहार में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। कुपोषण की समस्या से निपटने और छात्रों के शारीरिक व मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए मिड डे मील में नई पोषक सामग्री शामिल की गई है। यह कदम बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और उनकी पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

बदलाव की जरूरत और नीति आयोग का योगदान

सोनभद्र, जो देश के पिछड़े जिलों में गिना जाता है, को नीति आयोग द्वारा विशेष रूप से गोद लिया गया है। यहां की व्यवस्थाओं और सुविधाओं में सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा निर्णय लिया है।

सोनभद्र

ठंड के लिए विशेष भोजन व्यवस्था 

ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए परिषदीय विद्यालयों में मिड डे मील में पकाया हुआ पौष्टिक भोजन, दूध, फल के साथ-साथ चना, गुड़ और बादाम पट्टी को शामिल किया गया है। यह व्यवस्था मार्च तक जारी रहेगी। इन खाद्य सामग्रियों से बच्चों की पाचन शक्ति मजबूत होगी, ठंड से बचाव होगा, और उनका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा।

शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद

बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक सिंदु दत्त पांडेय ने बताया कि इन नए खाद्य पदार्थों के मिड डे मील में शामिल होने से न केवल बच्चों की अटेंडेंस बढ़ेगी, बल्कि उनकी पढ़ाई में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। यह बदलाव बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होगा, जिससे क्षेत्र में शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा।

बच्चों के बेहतर भविष्य की दिशा में कदम

सरकार और विभाग द्वारा किए गए इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पोषणयुक्त आहार प्रदान करना और कुपोषण की समस्या को समाप्त करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्वस्थ और शिक्षित बच्चों से ही क्षेत्र का समग्र विकास संभव है। इस नई व्यवस्था से न केवल बच्चों की पढ़ाई में मनोयोग बढ़ेगा, बल्कि यह क्षेत्र के विकास में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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