सोनभद्र – सोनप्रभात
न्याय की दीर्घ यात्रा में जब कोई निर्दोष वर्षो तक सलाखों के पीछे रह जाता है, तो उस व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है। लेकिन कभी-कभी न्याय व्यवस्था का मानवीय पक्ष भी सामने आता है। कुछ ऐसा ही उदाहरण सामने आया जिला कारागार सोनभद्र से, जहाँ वर्ष 2023 से हत्या के आरोप में बंद पूजा पाठक को 29 जुलाई 2025 को विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट सोनभद्र की अदालत ने निर्दोष घोषित करते हुए दोषमुक्त कर दिया।
क्या था मामला?
घटना घोरावल थाना क्षेत्र के मुडिलाडीह पठका गांव की है, जहाँ घोरावल निवासी संतोष भारती के अपहरण के दो दिन बाद उनकी लाश बेलन नदी के रौब में पुलिया के नीचे बरामद की गई थी। इस हत्या के आरोप में उसी गांव की युवती पूजा पाठक उर्फ काजल पाठक, पुत्री गोपालनाथ पाठक को पुलिस द्वारा नामजद कर जेल भेज दिया गया था। तब से पूजा पाठक वर्ष 2023 से जिला कारागार सोनभद्र में बंद थी।
नहीं था कोई पैरवीकार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बना सहारा
पूजा पाठक के पक्ष में कोई अधिवक्ता नहीं था, न ही कोई निजी संसाधन जिससे वह न्याय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ सके। ऐसे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सोनभद्र ने मानवता का परिचय देते हुए इस केस को संज्ञान में लिया और लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ श्री सत्या रमण त्रिपाठी को पूजा पाठक की कानूनी पैरवी हेतु नियुक्त किया।डिप्टी चीफ ने तत्परता और निष्पक्षता से पूरे केस की गहराई से जांच की और अदालत के समक्ष साक्ष्यों के अभाव में यह साबित किया कि पूजा पाठक के खिलाफ हत्या का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

न्यायालय ने माना निर्दोष, रिहा हुई पूजा पाठक
विशेष न्यायाधीश (SC/ST एक्ट) सोनभद्र ने उपलब्ध साक्ष्यों और बचाव पक्ष की दलीलों के आधार पर पूजा पाठक को 29 जुलाई 2025 को निर्दोष घोषित कर जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
मानवीयता की मिसाल बना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सोनभद्र
पूजा पाठक की रिहाई के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सोनभद्र की भूमिका की व्यापक स्तर पर प्रशंसा की जा रही है। इस विषय में जानकारी देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सोनभद्र के सचिव एवं अपर जिला न्यायाधीश श्री शैलेन्द्र यादव ने बताया कि:
“हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी नागरिक, विशेषकर वंचित वर्ग, विधिक सहायता से वंचित न रहे। पूजा पाठक जैसे मामलों में हमारी पहल से एक निर्दोष को न्याय मिल सका, यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
न्याय की जीत, व्यवस्था पर विश्वास की पुनर्स्थापना
पूजा पाठक की रिहाई इस बात का उदाहरण है कि कानून भले ही देर करे, लेकिन अंधा नहीं होता। यदि संवेदनशीलता, न्यायप्रियता और विधिक सेवा संस्थाएं सक्रिय भूमिका निभाएं, तो निर्दोषों को न्याय मिलना संभव है।

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