प्रकृति की मनोरम छटा बिखेरती दुद्धी मुड़गुड़ी पहाड़ी पर स्थित मंदिर।
- हजारों फीट ऊपर विशालकाय शिला अपने गर्भ में अनंत रहस्य कहानियों को समेटे है।
दुद्धी – सोनभद्र
जितेंद्र चन्द्रवंशी- आशीष गुप्ता/ सोनप्रभात
पर्यटन के लिए असीम सारी संभावनाओं को समेटा दुद्धी के रन्नु स्थित मूरगुड़ी पहाड़ी पर स्थित मन्दिर हजारों लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।इससे जुड़े तमाम सारे किवदंती है। विशालकाय शिला जो लगभग 1 किलोमीटर परिधि वृत्ताकार है और ऐसा प्रतीत होता है, जैसे कोई महल का विशालकाय गुंबद हो ।
स्थानीय लोगों की माने तो शीला खंड के नीचे कई विशालकाय गुफाएं हैं जिसमें खनिज संपदा से इनकार नहीं किया जा सकता ऐसा स्थानीय लोगों का मत है।
- –डॉ० लखन राम “जंगली” द्वारा लिखित पुस्तक “जागृत देवता बाबा श्री राजा चण्डोल” में इस पहाड़ी का उल्लेख किया गया–
“जागृत देवता बाबा श्री राजा चण्डोल” नामक पुस्तक का प्रथम संस्करण 7 मई 2003 पाठकों के सामने आया, जिसमें गोहड़ा गांव स्थित राजा चण्डोल पहाड़ जो कि सोनभद्र के सबसे ऊंचे पहाड़ के तौर पर जाना जाता है के बारे में विस्तृत जानकारी लेखक डाॅ० लखन राम “जंगली” द्वारा दी गई है। पुस्तक के 20 वें पृष्ठ में उल्लेख किया गया है, कि “मूरगुड़ी पहाड़ी पर श्री कड़ेर सिंह का निवास स्थान है।” श्री कड़ेर सिंह समेत 7 भाइयों में सबसे बड़े थे।
पुस्तक में सरल तरीके से बताया गया है, कि किंवदन्ती के अनुसार 7 भाइयों में तीसरे भाई राजा मंगेसर झारखण्ड अपने पैतृक निवास में विराजमान हैं शेष 6 भाई मूल निवास का जिम्मा राजा मंगेसर को सौंप कर गोहड़ा आ गये थे और सभी एक साथ रहते थे।
- कौन–कौन थे सात भाई ?
- श्री कड़ेर सिंह ( निवास– मुड़गुड़ी पहाड़ी)
- बाबा श्री राजा चण्डोल ( निवास- गोहड़ा)
- राजा मंगेसर (निवास– झारखण्ड)
- श्री परवन देव ( निवास– छ०ग० के नैका नामक ग्राम)
- श्री डाड़ राजा ( निवास- छ०ग०)
- श्री जरवन देव ( निवास– दिल्ली के आस पास)
- श्री राजा बरियार सिंह ( निवास– शिवपहरी के बगल पहाड़ पर, महुली)
आपको बताते चले कि श्री कड़ेर सिंह के मुड़गुड़ी पहाड पर निवास करने तथा सभी भाइयों के अलग–अलग निवास करने के पीछे कारण का उल्लेख डॉ० जंगली जी ने अपनी पुस्तक “जागृत देवता बाबा श्री राजा चण्डोल” के 21 वें पृष्ठ में किया है।
“बताते हैं, कि बाबा श्री राजा चण्डोल की पत्नी मृगारानी को श्री कड़ेर सिंह ने सरोवर में निर्वस्त्र स्नान करते देख लिया था। बाबा श्री कडेर सिंह को जिससे काफी ग्लानि हुई और उन्होंनें अलग रहने का फैसला लिया। कहीं ऐसा पाप और लोगों से भी न हो जाय, ऐसा सोचकर सारे भाइयों ने अलग–अलग रहने का निर्णय लिया। बाबा श्री राजा चण्डोल को भी भाइयों से अलग होने का काफी कष्ट हुआ और उन्होने स्त्रियों को माता स्वरूप देखने का निर्णय कर, माता मृगा रानी का त्याग कर दिया।”
- आस–पास के अनेंको गांवो के लोगों की आस्था जुड़ी है इन जगहों से–
दुर्गम रास्तों से होते हुए पर्यटन की दृष्टि से सैकड़ों लोग का आना जाना आस्था और रोचक मनोरम दृश्य को कैमरों में कैद करने के लिए रहता है। सोशल साइट फेसबुक पर भी तमाम सारे पोस्ट देखने को मिलते हैं, सोन प्रभात की टीम भी पर्यटन की संभावना को लिए, अपने मीडिया साथियों के साथ ड्रोन कैमरा के सहयोग से दुद्धी के पर्यटन के संभावना की तलाश ऊपर विशालकाय शिला पर पहुची तो नजारा कौतूहल भरा था।
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश , छत्तीसगढ़ के जंगलों के हसीन वादियों का मानो हजारों फीट ऊपर स्थित शिला अपनी रहस्यमई और खूबसूरती की गोद में जहां रोचक प्रकृति की हसी वादियो से घिरा यह क्षेत्र अपनी और आकर्षित कर रहा था। जिलाधिकारी महोदय इसका संज्ञान लें और पर्यटन मंत्रालय की टीम स्थानीय कौतूहल भरे पर्यटन स्थल के रूप में इस स्थान को विकसित किया जाए तो निश्चित रूप में राजस्व की प्राप्ति होगी और इस क्षेत्र को पर्यटन का एक नया आयाम मिलेगा ।
पर्यटकों ने ध्यान आकृष्ट कराया है , कि शासन प्रशासन जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी के ऊपर चारो ओर बैरिकेडिंग कराएं, जिससे जान माल की हानि होने से बचाया जाए। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था की चाक चौबंद की जाए।