व्यापारी वर्ग का दर्द-:आखिर क्यूँ किया जाता है नजर अंदाज हमें??
सम्पादकीय – सुरेश गुप्त”ग्वालियरी” – सोनप्रभात(विन्ध्यनगर- वैढ़न /सिंगरौली)
कोई भी राजनैतिक दल हो चुनाव आते ही आर्थिक सहयोग हेतु दबाब बनाना प्रारम्भ कर देते है। परन्तु चुनाव भागीदारी में अनदेखी!! स्थानीय निकाय चुनाव में व्यापारी समाज भी सामान्य सीट की घोषणा से प्रसन्नता महसूस कर रहा था ,इस कोरोना आपदा काल में इस वर्ग ने जरूरत मंदों की सेवा करके यहाँ की जनता को बता दिया है कि समाज सेवा में इनसे बेहतर कोई नही, आर्थिक समस्यायो से जूझते हुए भी व्यापारी वर्ग ने भामा शाह की तरह अपना खजाना खोल दिया है, चाहे ट्रामा सेंटर मे जरूरत मंदो की सेवा हो,या सुरक्षा सामग्रीयों का वितरण , इस शीत लहरी में वस्त्र दान हमेशा यह वर्ग अग्रणी रहा है।
परन्तु देखने में आ रहा है कोई भी राजनैतिक दल इस वर्ग को हासिये पर धकेल कर केवल वोट बैंक के रूप मे इस्ते माल कर रहा है । भाजपा जो की व्यापारी वर्ग की पार्टी मानी जाती है जब टिकिट देने की बारी आती है, वैश्य समुदाय व व्यापारी वर्ग को भुला दिया जाता है। सिंगरौली निकाय चुनाव में व्यापारी वर्ग बहुत अन्तराल के बाद सामान्य सीट होने से आशान्वित दिख रहा है , महापौर जैसे महत्वपूर्ण पद पर अपने कार्यों व समाज सेवा से छाप छोड़ चुका इस वर्ग को सभी राजनैतिक दल वरीयता प्रदान करेगा।
भाजपा में भी नगर निगम में पार्षद के रूप में अपनी निर्विवाद सेवा देने वाले भाजपायी नेता है भी जिनकी नगर में स्वच्छ छवि व प्रभाव है। इन्तजार है सभी को, राजनैतिक दलों का उच्च नेतृत्व क्या निर्णय लेता है ??