gtag('config', 'UA-178504858-1'); बूँद बूँद को तरसते, सूखे नदी तलाब! सारा पानी पी गया,बिजली यहाँ जनाब!! -सुरेश गुप्त 'ग्वालियरी' - सोन प्रभात लाइव
मुख्य समाचार

बूँद बूँद को तरसते, सूखे नदी तलाब! सारा पानी पी गया,बिजली यहाँ जनाब!! –सुरेश गुप्त ‘ग्वालियरी’

विन्ध्यनगर – सिंगरौली

सुरेश गुप्त’ ग्वालियरी’ – सोनप्रभात

मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन जिला इकाई सिंगरौली के तत्वावधान में दिनांक सात फरवरी रविवार को बैढन स्थित प्रवेंदु दुबे ” चंचल” के आवास पर एक काव्य संगोष्ठी का आयोजन सीधी से पधारे वरिष्ठ कवि मनोज शुक्ल “सुमन” की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

खचाखच भरे कक्ष में काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए श्री कमल शुक्ल “अज्ञान” ने जयंत से पधारे राम खिलावन को आमंत्रित किया, आपने “जय जय हे वीणा वादिनी “सुनाकर काव्य गोष्ठी का आगाज किया।

सेवा निवृत प्राचार्य मनोहर वर्मा ने ” मै तो आदिवासी भईया,जंगल के रहईया ! नदी नाला पहाड खोह गुफा घनघोर,चीता शेर बाघ भालू, सभी संग मोर सुनाकर आदिवासी, वनवासी रहन सहन और क्षेत्र का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया।

 

गोष्ठी को ऊंचाईया प्रदान करते हुए संजीव कुमार पाठक ने सुमधुर स्वर मे अपनी गजल ” आज फिर से मुलाकात उनसे हुई,आँखो आखों में दोनो की बाते हुई
कुछ मैने कहा कुछ उसने कहा,सुनकर वो बाते शर्म से हुई छुई-मुई !! सुनाकर खूब वाह वाही बटोरी।

 

वरिष्ठ व्यंग्यकार व संस्था के जिला अध्यक्ष एस पी तिवारी ने सम सामयिक संदर्भ में अपने मुक्तक व रचनाओँ से सोचने पर विवश कर दिया एक बानगी देखिये” कुंठा ग्रस्त विचारों ने नफरत का जाल बिछाया है! अपनों से दूरियाँ बढी , गैरो को गले लगाया है!!

 

वरिष्ठ साहित्यकार नारायण दास ” विकल” ने अपने मुक्तक,छंद व गजल से नवाजते हुए माहौल को रंगीन बना दिया, देखिये एक रचना “यदि मन साक्षी का यूँ मिलन न हुआ, तो तू पार जाने के लायक नहीं! यत्न कर लो, बराबर कि मिल जाये मन, वरना यह तन दुबारा मिलेगा नहीं!! सु मधुर गीत व कण्ठ के धनी, राम खेलावन मिश्र ने “कष्ट कसौटी में तपकर, यह देह स्वर्ण बन जायेगी ” किसी दिवस मद भरी सफलता, तेरे द्वारे आयेगी!! सुनाकर माहौल को गम्भीरता प्रदान की।

 

माहौल को सामयिक संदर्भो से जोडते वरिष्ठ व्यंग कार व दोहाकार सुरेश गुप्त ग्वालियरी ने “सोचा मौसम बदल गया है, नई नई सौगातें होगी, दुखिया के आँगन में फिर से, गौने की कुछ बाते होगी! बादल खेत खेत बरसेंगे, भींगी भींगी रातें होगी!! सुनाकर व्यंग्यात्मक तीर छोड़े, तत्पचात हिन्दी साहित्य सम्मेलन के जनपद सिंगरौली के सचिव व संगोष्ठी के आयोजक वरिष्ठ कवि प्रविन्दु दुबे चंचल ने सुन्दर प्रतीको के माध्यम से गम्भीर व सम सामयिक संदर्भो पर सुन्दर प्रस्तुति दी- “एक बानगी देखिये, कब्जा कर लिया, आकाश पर
धूप को छीन कर बादलों ने!!

अन्तिम सोपान पर वरिष्ठ साहित्यकार व संचालक श्री कमल शुक्ल “अज्ञान” ने जहाँ कविता का सम्मान नहीँ है, वहाँ जाना आसान नहीँ है! कवि को सुधि श्रोता मिल जायें, इससे बढकर मान नहीँ है।  सुनाकर गोष्ठी के समापन घोषणा की। कवि संगोष्ठी के आयोजक “”चंचल” जी ने अध्यक्षता कर रहे मनोज शुक्ल सुमन एवं सभी आगन्तुक कवि जनों का आभार व्यक्त करते हुए स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.
Website Designed by- SonPrabhat Web Service PVT. LTD. +91 9935557537
.
Close