gtag('config', 'UA-178504858-1'); सम्पादकीय –ः कविता (समीक्षा – महंगाई) – सुरेश गुप्त "ग्वालियरी" - सोन प्रभात लाइव
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सम्पादकीय –ः कविता (समीक्षा – महंगाई) – सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”

सोनप्रभात–  कला एवं साहित्य
सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”– विन्ध्यनगर⁄सिंगरौली

 

समीक्षा-  (महंगाई) 

 

महँगा सब कुछ हो गया,
कटहल दस का पाव !
पर नेता के चरित्र का,
वही आज भी भाव !!

बढा रेट पट्रोल का,
बेची अपनी कार !
लाया भैंस खरीद कर ,
शुरु किया व्यापार !!

महँगा सब कुछ हो गया,
सस्ता अब भी खून !
दस हजार उसको मिला,
बहा सड़क पर खून !!

महँगा अब लगने लगा,
इन अँखियन का वार !
लेकर गया बजार में,
डूबे पाँच हजार!!

– सुरेश गुप्त,ग्वालियरी

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