gtag('config', 'UA-178504858-1'); सोन नदी की धारा में जलीय जीवों को पुनः जीवंन करने के लिए छोड़ी गई मछलियों के लिए काल बन रही बालू खनन की क्षेत्र मशीने - सोन प्रभात लाइव
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सोन नदी की धारा में जलीय जीवों को पुनः जीवंन करने के लिए छोड़ी गई मछलियों के लिए काल बन रही बालू खनन की क्षेत्र मशीने

कबिनेट मत्स्य मंत्री ने छोड़ी सोन नदी में लाखों मछलियां तो दूसरी ओर उन मछलियों के लिए यमदूत बन रहे बालू खनन करने वाले माफिया।

डाला/अनिल कुमार अग्रहरि/सोनप्रभात

जनपद सोनभद्र में सोन नदी की जलधारा को जीवंन जलधारा कहते हैं क्योंकि भारत की प्राचीन नदियों में से सोन नदी प्रमुख नदी मानी जाती है जिसका व्यास तकरीबन 290 किलोमीटर के करीब माना जाता है तो वही इतनी विशालकाय नदी में कई छोटी सहायक नदियां भी समाहित होती हैं जिससे यह नदी विशाल का रूप लेती है नदी की विशालता के साथ-साथ यह नदी जीवंत दयानी भी है जिसमें कई दुर्लभ प्रजाति के जलीय जीव तथा खनिज संप्रदाय पाई जाती हैं किंतु लगातार मशीनों के इस्तेमाल से सोन नदी की जलधारा में जीवन का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा

मानव सभ्यता के लिए नदियों का जीवंत होना अत्यंत आवश्यक

गंगा की तरह सोन नदी भी पवित्र है जिसके किनारे कई सभ्यताओं ने जन्म लिया धार्मिक ऐतिहासिक तथा जीवन के लिए सोन नदी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है और किसी भी नदी के शुद्ध होने के लिए उसे नदी में जलीय जीवों का होना अत्यंत आवश्यक है किंतु जिस तरह से सोन नदी की बहती हुई जलधारा को अवरुद्ध कर कर खनन करता मशीनों के इस्तेमाल से खनन कर रहे हैं यदि इस पर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो निकट भविष्य में सोन नदी की जलधारा मिलते और इसके किनारे रहने वालों के लिए यह नदी स्वच्छ नहीं रह पाएगी

नदियों में हो रहे खनन से होने वाले नुकसान

सोन नदी की जलधारा में बरसात के समय प्रजनन के लिए खनन को तो बंद कर दिया जाता है किंतु जैसे ही जलीय जीव मछलियों को जन्म देते हैं उनमें से ज्यादातर मछलियां छोटी होने के कारण वह नदी के किनारे के तल पर ही रहती हैं क्योंकि बड़ी मछलियों से उन्हें खतरे होते हैं किनारा उनके लिए सुरक्षित होता है किंतु जिस तरह से नदियों के किनारे बड़ी-बड़ी मशीन जेसीबी पोकलेन तथा नाव में पंप सेट लगाकर प्रेशर से पानी और बालू को खींचा जा रहा

उन प्रेशर में फंसकर वह छोटी मछलियों और दुर्लभ जलीय जीव भी खींचे जाते हैं जो मशीनों के प्रेशर के कारण मर जाते हैं किंतु खनन कर्ताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें तो बस सोन नदी के अपार भंडार को दोहन करना है लगातार हो रहे मशीनों के इस्तेमाल से जलीय जीवों की मौत आने वाले भविष्य के लिए एक बड़े सवाल को जन्म दे रही क्या हमारी अगली पीढ़ी उन्हें दुर्लभ प्रजाति के जलीय जीवों को देख पाएगी जिनके बारे में हम आज जानते हैं कि यह दुर्लभ जलीय जीव हमारे सोन नदी में रहती हैं

मामलों की जानकारी की माने तो सोन नदी के लगातार दोहन और जलीय जीवों के संकट को यदि समय रहते नहीं रोका गया तो निकट भविष्य में सोन नदी तथा आसपास के रहने वालों के लिए स्वच्छ साफ पानी और उनके ऐतिहासिक धरोहर महज किताबों के कुछ पन्नों के ऊपर छपी चित्र ही बनकर रह जाएगी।

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