हमारे सह संपादक सुरेश गुप्त ग्वालियरी द्वारा एक त्वरित लेख-
सुरेश गुप्त ‘ग्वलियरी’ विन्ध्य नगर, सिंगरौली(स्मपादकीय) लाश उठकर काँधों पर, चला जाऊँगा मत रोको, मगर इतना समझ लेना ,तुम्हारी कल की बारी है!! यही समय की माँग है ,खोल दो दिल के बन्द दरवाजे, माटी के दीप जलाओ उस देहरी पर जहाँ अन्धेरा है, उस व्यवस्था में हाँथ बटाओ जो जरूरतमंद को…